मुस्लिम मेरा यार

नेता बनना है तो काम करो, करने को काम हजार है,
हिंदू मुस्लिम को ना बाँटो, मुस्लिम मेरा जिगरी यार है।
साथ में रहते हैं हम कुछ ऐसे जैसे रहता परिवार है,
मुझे पसंद है सेंवई ईद की, उसको दिवाली से प्यार है।
हिंदू-मुस्लिम को ना बाँटो, मुस्लिम मेरा जिगरी यार है॥
चादर मिलती है दुकान में मेरे, उसके अब्बा का चंदन का व्यापार है,
मिलते हैं अब्बू उसके तो वालेकुम कर हम करते सत्कार हैं।
अक्सर छूता है दोस्त मेरे पापा के पैर, कुछ ऐसे उसके संस्कार हैं,
हिंदू मुस्लिम लड़ रहे जहाँ, वो सिर्फ कागज का अखबार है।
हिंदू मुस्लिम को ना बाँटो, मुस्लिम मेरा जिगरी यार है,
नेता बनना है तो काम करो, करने को काम हजार है॥

–सीतांशु किरण त्रिपाठी