गुरुदेव ‘आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय जी’ की कृति– ‘समग्र सामान्य हिन्दी’ नवम्बर-माह से उपलब्ध


● राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’

चिर-प्रतीक्षित ‘समग्र सामान्य हिन्दी’ की सम्पूर्ण सामग्री मुद्रणार्थ सम्बन्धित मुद्रणालय में प्रेषित की जा चुकी है। अगले सप्ताह तक मुद्रित होकर सप्ताहान्त से नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक ‘अमेज़न’, ‘फ़्लिप कार्ट’ तथा देश के १० हिन्दीभाषाभाषी राज्यों के प्रमुख पुस्तक-विक्रेताओं को उपलब्ध करा दी जायेगी, ऐसा विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है।

उल्लेखनीय है कि आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय जी की अब तक की प्रकाशित सभी सामान्य हिन्दी की पुस्तकों :– ‘नालन्दा सामान्य हिन्दी’, ‘मानक सामान्य हिन्दी’, ‘बृहद् सामान्य हिन्दी’, ‘प्रामाणिक सामान्य हिन्दी’, ‘संजीवनी वस्तुनिष्ठ सामान्य हिन्दी’, ‘यूनीक सामान्य हिन्दी’ एन्साइक्लोपीडिया’ आदिक में से उत्कृष्ट पुस्तक ‘समग्र सामान्य हिन्दी’ है, जिसका प्रकाशन ‘युक्ति पब्लिकेशंस’, हॉस्पिटल रोड, आगरा से किया गया है, जिसके स्वामी श्री मयंक अग्रवाल हैं। उपर्युक्त पुस्तक के प्रचार-प्रसार तथा विक्रय-व्यवस्था के सूत्रधार श्री नितिन श्रीवास्तव और उनके सहयोगी हैं। इतना ही नहीं, वर्तमान में, देश के समस्त पुस्तक-विक्रेताओं के यहाँ ‘सामान्य हिन्दी’ की जितनी भी पुस्तकें हैं, उनमें शीर्ष पर ‘समग्र सामान्य हिन्दी’ रहेगी; क्योंकि उपर्युक्त पुस्तक में जितनी विविधता के साथ दुर्लभ परीक्षोपयोगी सामग्री है, वह अन्य किसी भी पुस्तक में लक्षित नहीं होगी।

‘समग्र सामान्य हिन्दी’ के प्रकाशक श्री मयंक अग्रवाल की प्रकाशन के प्रति अभिरुचि, सजगता, जागरूकता तथा परिश्रमशीलता देखते ही बनती है। इसके आरम्भिक पृष्ठ बहुवर्णीय हैं। इसके ‘विषय-क्रम’ (विषयसूची) ही १० पृष्ठों की है। इसमें कुल उनतालीस अध्याय हैं। दो रंगों में मुद्रित यह भाषिक और साहित्यिक कृति बृहद् आकार-प्रकार में बहुवर्णीय आवरणपृष्ठ और आकर्षक अन्त: साज-सज्जा के साथ प्रतियोगिता-जगत् में अपना ‘अनन्य’ स्थान बना लेगी, कोई संशय नहीं; क्योंकि यह ‘प्रतियोगिता-साहित्य’ है, जिसका हेतु ‘कल्याणदर्शन’ है, न कि ‘वणिक् वृत्ति’ का पोषण। यह पुस्तक अपने नाम के अनुरूप विषय-सामग्री के स्तर पर प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं में सफलता अर्जित करनेवाले विद्यार्थियों को भा जायेगी और रास भी आयेगी।

जो विद्यार्थी हाईस्कूल-इण्टरमीडिएट के स्तर पर ‘हिन्दी-विषय’ का अध्ययन कर रहे होते हैं, उनके लिए भी ‘समग्र सामान्य हिन्दी’ अपरिहार्य सिद्ध होगी। जो अध्यापक-अध्यापिकाएँ किसी भी स्तर (माध्यमिक से विश्वविद्यालयीय) के विद्यार्थियों को ‘हिन्दी’ विषय पढ़ा रही हों और जो हिन्दी-माध्यम में किसी भी विषय का अध्यापन कर रही हों, उनके लिए भी यह पुस्तक अति महत्त्व की है। हिन्दी-माध्यम में देश के जितने भी शोध-विद्यार्थी हैं; कनिष्ठ-वरिष्ठ, लब्ध-प्रतिष्ठ, स्वनामधन्य साहित्यकार, कवि-कवयित्रियाँ, लेखक, समीक्षक आदिक हैं; पत्रकार-सम्पादक हैं; शैक्षिक-साहित्यिक संस्थान हैं; पुस्तकालय हैं, उन सभी के लिए ‘समग्र सामान्य हिन्दी’ एक ‘विशेषज्ञ शिक्षक’ के रूप में उद्देश्यपरक भूमिका का निर्वहण करेगी। इतना ही नहीं, जो भी जन शुद्ध हिन्दी-शिक्षण के प्रति सजग और जागरूक हैं तथा अपने हिन्दीभाषा-प्रयोग को उच्च स्तर पर लाने के लिए व्यग्र हैं; आग्रहशील हैं, उनके लिए भी ‘समग्र सामान्य हिन्दी’ की अति उपयोगिता और महत्ता है।

‘समग्र सामान्य हिन्दी’ के ‘विषय-क्रम’ और ‘अध्ययन-सामग्री’, परीक्षोपयोगी तालिकाएँ-बॉक्स-सामग्री, ‘उत्तरसहित पिछले दस वर्षों के प्रश्न (वर्ष २०२१ की विभिन्न परीक्षाओं के वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरसहित) को देखते-पढ़ते-समझते प्रत्येक विद्यार्थी और अन्य जन बोल पड़ेंगे– तुझ-सा नहीं देखा पहले कभी।

जिसे भी उपर्युक्त पुस्तक को क्रय कर अध्ययन करने में रुचि हो, वे सम्पर्क कर सकते हैं :–

07011603848, 07500029885, +918299546725, 09452972980 तथा 9919023870

आप इसके आवरणपृष्ठ-सहित बहुवर्णीय पृष्ठों को देखते ही इस पुस्तक की उपयोगिता और महत्ता का अनुभव कर सकते हैं। तो आइए! अपने गुरुदेव, आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय जी की इस अनन्य भाषिक कृति के आवरणपृष्ठ और बहुवर्णीय आन्तरिक पृष्ठों की गुणवत्ता को देखें और समझें।