ग़ज़ल : मैने देखा खून आज राह मे गिरा हुआ

May 3, 2022 0

राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’–  मैने देखा ख़ून आज राह में गिरा हुआ, पूछा ख़ून किसका है कोई तो बताइए? क्या हुआ जो आप सब क्रोध में उबल रहे? व्यर्थ ही सामर्थ्य आप ऐसे ना जलाइये। […]

ग़ज़ल– मोहब्बत में असर होता तो ये हालात न होते

April 26, 2022 0

मनीष कुमार शुक्ल ‘मन’ (लखनऊ)  सज़ाएं काट लूँगा मैं तुम्हारा नाम न लूँगा | कभी भी अब ज़माने में प्यार से काम न लूँगा || मुहब्बत में असर होता तो ये हालात न होते | […]

न रख इतना नाज़ुक दिल

April 22, 2022 0

—डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ इश्क़ किया तो फिर न रख इतना नाज़ुक दिल माशूक़ से मिलना नहीं आसां ये राहे मुस्तक़िल । तैयार मुसीबत को न कर सकूंगा दिल मुंतकिल क़ुर्बान इस ग़म को तिरि ख़्वाहिश मिरि मंज़िल ।   मुक़द्दर यूँ सही महबूब तिरि उल्फ़त में बिस्मिल तसव्वुर में तिरा छूना हक़ीक़त में हुआ दाख़िल । कोई हद नहीं बेसब्र दिल जो कभी था मुतहम्मिल गले जो लगे अब हिजाब कैसा हो रहा मैं ग़ाफ़िल ।   तिरे आने से हैं अरमान जवाँ हसरतें हुई कामिल हो रहा बेहाल सँभालो मुझे मिरे हमदम फ़ाज़िल । नाशाद न देखूं तुझे कभी तिरे होने से है महफ़िल कैसे जा सकोगे दूर रखता हूँ यादों को मुत्तसिल ॥