अतीत होते मेरे सहयात्री!

January 1, 2018 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- अपने बलिष्ठ कन्धों पर तीन सौ पैंसठ दिनों के भार पल-पल लाद कर अनवरत-अनथक यात्रा करते-करते अतीतोन्मुख सहयात्री! तुम क्लान्त हो चुके हो। अब तुम्हें चिर-निद्रा की ओर बढ़ना है तुम्हारे जीवन […]

लम्हा-दर-लम्हा जो संग-संग चलता रहा, बूढ़ा समझ हम सबने घर से निकाल दिया

January 1, 2018 0

 डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- एक : लम्हा-दर-लम्हा जो संग-संग चलता रहा, बूढ़ा समझ हम सबने घर से निकाल दिया। दो : कितना निष्ठुर दस्तूर है ज़माने का, काम निकल आने पे घूरे में डाल आते हैं। […]

चेतावनी के स्वर

December 30, 2017 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय राख में सुगबुगाहट है, जगाओ मत, ख़ाक हो जाओगे, पास आओ मत। मेरे मौन को ‘मौन’ मत समझ लेना, कितने ‘गिरे’ हो, ज़बाँ खुलवाओ मत। तुम्हारे सलीक़े की गणित हमने पढ़ ली […]

एक-से-बढ़कर-एक ‘अमूल्य रत्न’ के रूप में मेरे शिष्य!

December 29, 2017 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डे- इस मुक्त मीडिया के माध्यम से उन उदित-नवोदित, विकसित-विकासमान् हस्ताक्षरों की सर्जन प्रातिभ सामर्थ्य से जब साक्षात् करता हूँ, जो प्रकारान्तर से मेरे शिष्य रहे हैं, तब ऐसा प्रतीत होता है, मानो […]

जफ़ापरस्त की उम्र होती है बहुत

December 24, 2017 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- एक : खोकर जीने का मज़ा कुछ और ही है यारो! कामयाबी की मनाज़िल (१) यों ही हासिल नहीं होतीं। दो : आँखों में आँसू, लब पे हैं दुवाएँ, इन्तिज़ार उनका, आयें […]

बातें- जज्बे

December 20, 2017 0

डाॅ. पृथ्वीनाथ पाण्डेय- 0 उनके दर पे पहुँच कर भी, पहुँच न सका, नज़रें यों झुकीं, हम सलाम कह न पाये। 0 रंजो-ग़म भूलकर, हम ज्यों गले मिले, ख़ंजर जिगर के पार, मिलते रहे गले। […]

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला में शब्द-विचार

December 20, 2017 0

 डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- ज़िम्म:दार-ज़िम्म:वार :– सही शब्द ‘ज़िम्म:दार’ और ‘ज़िम्म:वार’ है। अब प्रयोग के धरातल पर वही ‘जिम्मेदार’ और ‘जिम्मेवार’ बन गया है। दोनों ही ‘अरबी’ शब्द हैं | दोनों का एक ही अर्थ है। […]

राज्यपाल-द्वारा किये जानेवाले सम्मान-समारोह में स्वयं के सम्मान से डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने बनायी दूरी

December 9, 2017 0

आज एक संस्था की ओर से लखनऊ में आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मान-समारोह में अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए देशभर से चयनित लगभग 20 प्रतिभाओं को उत्तरप्रदेश के राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया गया । […]

लोकसंसद में विमर्श : इ०वी०एम० की क्रियाप्रणाली पर जब बार-बार अँगुलियाँ उठ रही हैं तब ‘मतदानपत्र’ की व्यवस्था क्यों नहीं की जाती?

December 7, 2017 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- कवि प्रशान्त मिश्र- महोदय अभी तक खूब रखा । जब देश को गाली व भारत माँ को लोग गाली देते हैं, तब आप जैसे लोग कुछ नहीं कहते । डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- […]

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला में ‘विराम चिह्नों का प्रयोग’

December 5, 2017 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- वाक्य में स्पष्टता लाने के लिए, अर्थात् भाव का अर्थ प्रकट करने के लिए विराम चिह्नों का प्रयोग अनिवार्य माना गया है। किसी भी विराम चिह्न की स्वतन्त्र सत्ता नहीं होती। नीचे […]

इतिहास बीमार है—

November 22, 2017 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय   इतिहास के फड़फड़ाते पृष्ठ कर रहे हैं, असामयिक मौत का इन्तिज़ार  और बदलता युग, वार्धक्य का एहसास करते हुए समय के चरमराते पलंग पर खाँसता है। इंसान बूढ़े होते इतिहास की […]

व्यंग्य भोजपुरी भाषा में : अब काँहें पिपरा ता, झँख!

November 19, 2017 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ”अच्छे दिन आयेंगे-अच्छे आयेंगे”—- इहे सुनाई-सुनाई के, देखाइ-देखाइ के उ तहरा के भरमवले रहे आ तब तहरा के हमार बतिया न नू बुझात रहे; तब त कनवाँ में ठेपी लगाइ के ‘नमो-नमो’ […]

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