प्रतिदिन सैकड़ों लोग मर रहे हैं, मानो मरणोत्सव हो

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

कोरोना से प्रतिदिन ६०० से ७०० नागरिक मर रहे हैं; परन्तु उसमें न तो कोई मन्त्री, मुख्यमन्त्री, राज्यपाल मर रहा है और न ही देश का कोई प्रमुख व्यक्ति ही मर रहा है।

घोर कलियुग है! सारी विपत्ति भोगने के लिए आम जनता ही है।

अरे कोरोना प्रभो!
कुछ ऐसा कर दिखाओ कि जिन जनप्रतिनिधियों को आम जनता के जीवन और मृत्यु के साथ कोई प्रयोजन नहीं है, उनके घरों से लाशों का अम्बार निकलना शुरू हो जाये, ताकि उन्हें प्रतिदिन कोरोना के दुष्प्रभाव से मारे जा रहे सैकड़ों लोग के स्वजन के हृदयविदारक शोक का अनुभव हो सके। वैसे जनप्रतिनिधियों को जीने का कोई अधिकार नहीं है। वे भी असामयिक मौत मरें।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २५ जुलाई, २०२० ईसवी)