पर्यावरण संरक्षण के नाम पर लाखों रुपए पानी की तरह बर्बाद होने के बाद भी पौधे नदारद

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कछौना (हरदोई) : पर्यावरण संरक्षण के नाम पर लाखों रुपये पानी की तरह बर्बाद किया जा रहा है। जमीनी स्तर पर लगाए पौधे नदारद हैं। पौधे लगाने पर अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, संस्थाओं ने फोटो खिंचवाकर फील गुड कराया, लेकिन बाद में किसी ने पौधों की सुध लेना मुनासिब नहीं समझा।

अगस्त माह में पौधारोपण के लिए विशेष अभियान चलाया गया था। लाखों पेड़ विभिन्न प्रजातियों के विभागों द्वारा लगाए गए, प्रत्येक ग्राम सभाओं में सैकड़ों पौधे रोपित किए गए। जिस में मनरेगा द्वारा गड्ढा खुदवाये गए। वन विभाग द्वारा पौधे उपलब्ध कराए गए। उचित देखभाल के अभाव में ट्री गार्ड के पौधों को छुट्टा जानवर चर गए। अधिकांश पौधे सूख गए। क्षेत्र में पौधारोपण के नाम पर केवल डंढल (पादप-अवशेष) दिखाई दे रहे हैं। पूर्व जिला अधिकारी पुलकित खरे ने लखनऊ हरदोई मार्ग पर पौधारोपण अभियान चलाकर पौधे लगवाये थे। परन्तु देखभाल के अभाव में पौधे सूख गए। बघौली से ब्रम्हनाखेड़ा तक मुख्य मार्ग के दोनों ओर ट्री-गार्ड बिना पौधों के नजर आ रहे हैं। हजारों रुपयों के कीमती ट्री-गार्ड धीरे-धीरे गायब हो रहे हैं। इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजस्व विभाग द्वारा पौधारोपण के लिए सैकड़ों बीघा भूमि पौधारोपण के लिए किसानों को पट्टा की जाती है। जिनमें पौधे लगाने का प्रावधान है, परंतु कोई भी किसान पौधे लगाने के नाम पर फोटो खिंचवा कर खानापूर्ति करते है। उस भूमि पर यह लोग खेती कर फसल उगा रहे हैं। आखिर इस योजना का पर्यावरण से क्या फायदा है?

आम जनमानस कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद भी ऑक्सीजन के महत्त्व को नहीं समझा हैं। पर्यावरण की रक्षा में वह अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहा है। क्षेत्रीय विकास जन आंदोलन के संयोजक रामखेलावन कनौजिया ने बताया रोपित पौधों की स्थलीय जांच की आवश्यकता है। जिन लोगों ने पौधारोपण के लिए पट्टा कराया है, परंतु उस भूमि पर पौधे न लगाकर खेती कर रहे हैं, उनके पट्टे खारिज होने चाहिए। पूरे प्रकरण पर उप जिला अधिकारी सण्डीला मनोज कुमार श्रीवास्तव ने बताया मामले की जांच कर ठोस कार्यवाही की जाएगी।

रिपोर्ट – पी०डी० गुप्ता