
विचार करें!
यदि “सत्य और अहिंसा” ही गांधीवाद का धर्म है तो जनता के साथ आजादी के बाद से अबतक इतना अन्याय क्यों…?
सत्य कहता है कि इस दुनिया में सभी मनुष्य एकात्म हैं तो सार्वजनिक धन रूपी राजकोष से सबको एक समान शिक्षा और रोजगार क्यों सुलभ नहीं कराते..?
जबकि पिछले 75 वर्षों से सत्ता कहीं न कहीं कांग्रेस व भाजपा के हाथ में हैं।
रेपोरेट क्यों लगा रखा है जो नागरिकों को निरन्तर बेरोजगार और गरीब व गुलाम बना रही है…?
प्रत्येक ग्रामपंचायत में समान रूप से स्कूल क्यों नहीं खोले गए आजादी के बाद से अबतक?
इतना अन्याय क्यों दूसरों के साथ…?
अन्याय से बड़ी कोई हिंसा नहीं…!
आज भी डेढ़ प्रतिशत लोग ही मास्टर डिग्री तक पूर्णशिक्षित हो पा रहे हैं।
आज भी 95% बेरोजगार या अल्परोजगार वाले मनुष्य हैं।
अधिकांश लोग बेघर या अल्पघर वाले हैं..!
अधिकांश लोग आज भी चिकित्सा सेवा से वंचित है…!
आज भी सरकारी पुलिस जनता को गाली दे रही है और मार रही है जबरन जेल में डाल रही है।
देश में आज भी 5 करोड़ से भी अधिक भिखारी हैं..?
5% लोगों के पास ही सम्पूर्ण आयस्रोतों का भंडार है।
आखिर क्यों…?
यह दुर्दशा तो सत्यात्मक न्याय और अहिंसा या प्रेम का धर्म तो नहीं सिद्ध हो सकता…!
यदि सत्य और अहिंसा ही गांधीवाद है तो देश में सरकारों द्वारा इतना घोर असत्य और हिंसा का व्यवहार 75 वर्षों से क्यों किया जा रहा है…?
जनता को न द्वादश मताधिकार दिए गए, न चार जनाधिकार दिए गए, न चार मानवाधिकार दिए गए।
आखिर क्यों…?
देश के संविधान की उद्देशिका में लिखा होने पर भी जनता के साथ न आर्थिक न्याय किया गया, न सामाजिक न्याय किया गया न राजनैतिक न्याय किया गया..?
आखिर इतना घोर असत्य और हिंसा का शासन क्यों…?
दूसरों के हितों की उपेक्षा से बड़ा कोई असत्य नहीं..!
दूसरों के साथ अन्याय से बड़ी कोई हिंसा नहीं..!
ध्यान रहे कि सत्य ही परिवार में प्रेम, समाज व राष्ट्र में न्याय और समष्टि में पुण्य का व्यवहार सिखाता है।
✍️???????? राम गुप्ता, स्वतंत्र पत्रकार, नोएडा