हिन्दीभाषा/हिन्दी-भाषा-व्याकरण सीखने के प्रति ललक हो तो ऐसी!

हिन्दी-भाषा-व्याकरण एवं संरचना-खण्ड की समझ विकसित करने के प्रति तत्पर देश का एक ऐसा शिक्षण-संस्थान है, जिसने मेरी सहमति प्राप्त करने के अनन्तर शीघ्र ही ‘एलायंस एअर’ के गमनागमन (‘आवागगमन’) अशुद्ध है।) के टिकट प्रेषित कर दिये; एकदिवसीय कर्मशाला के प्रति अपने समस्त अध्यापिका-अध्यापकोँ को लिखित रूप से सजग कर दिये; शुद्धतापूर्वक हिन्दी-भाषा को ग्रहण करने के प्रति अपनी अभिरुचि प्रकट की।
वह आवासीय विद्यालय ऐसा है, जहाँ छठी कक्षा मे अध्ययन का प्रतिमाह शुल्क ₹६७,५०१ है और जो समस्त सुविधा-साधन से सम्पन्न है। वह शैक्षणिक संस्थान गुणवत्ता और प्रतिष्ठा की दृष्टि से अपने राज्य मे ‘प्रथम श्रेणी’ का है; ‘शीर्षस्थ’ है। उक्त शिक्षण-संस्थान से विश्व के जाने-माने हस्ताक्षर ने शिक्षा-प्रशिक्षा ग्रहण किये हैँ, जिनमे से स्वदेश की प्रियंका गांधी, करीना कपूर आदिक हैँ।
१७ सितम्बर को उड़ान रहेगी; १८ सितम्बर को कर्मशाला का आयोजन होगा; १९ सितम्बर को प्राकृतिक परिवेश को निहारने और उसके साथ संवाद करने का अवसर प्राप्त होगा तथा २० सितम्बर को प्रत्यागमन होगा।
शुद्धाशुद्ध तथा अन्य पक्षोँ पर मार्गदर्शन निश्चित रूप से दुर्लभ होगा और ऐतिहासिक भी।

सितम्बर-माह के मध्य मे शिक्षण-संस्थान-परिचय सहित जिन विषयोँ पर मेरा मार्गदर्शन रहेगा, उसकी भी चर्चा करूँगा।

वापसी के शीघ्र पश्चात् एक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान मे एकदिवसीय कर्मशाला मे ‘सीखिए-सिखाइए’ का विधिवत् आह्वान किया जायेगा। उसके पश्चात् अन्य कई संस्थानो मे हिन्दी-माहात्म्य (‘महात्म’ और ‘माहात्म’ अशुद्ध हैँ।) का समुचित रेखांकन होगा। एक ‘डाइट’ मे त्रिदिवसीय राष्ट्रीय कर्मशाला मे तीन दिनो तक विद्यार्थियोँ और अध्यापक-अध्यापिकावृन्द के समक्ष हिन्दी की गरिमा को प्रतिष्ठित करूँगा।

निस्संदेह, ये सारे आयोजन ”डंके की चोट पर” ऐतिहासिक सिद्ध होँगे, जिसमे हिन्दीभाषा शुचिताभियान/ हिन्दीभाषा-शुचिताभियान/ हिन्दीभाषाशुचिता-अभियान/हिन्दी-भाषा-शुचिताभियान/ हिन्दी-भाषा-शुचिता-अभियान के निहितार्थ के सम्यक् दर्शन होँगे।