अधिकारियों की उदासीनता व अनदेखी के चलते सीएचसी में फैला गंदगी का साम्राज्य

कोविड-19 की तीसरी लहर को लेकर सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को चुस्त-दुरुस्त करने की तैयारी में

एमबीए डिग्री धारकों को स्वास्थ्य सेवाओं के मैनेजमेंट का कार्य सौंपने की तैयारी

सीएचसी में शीघ्र ही बदलाव नजर आयेगा-एमएलसी अवनीश

कछौना (हरदोई) : कोविड-19 संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के चलते सरकार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, ग्रामीण क्षेत्र में स्थित स्वास्थ्य उपकेंद्र व हेल्थ वेलनेस सेंटर पर व्यवस्थाओं को चुस्त-दुरुस्त करने का कड़ा निर्देश दिया है।

इन स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर नियमित रूप से उपलब्ध रहें, पैरामेडिकल स्टाफ भी मौजूद रहे। एंबुलेंस सेवाओं को बेहतर ढंग से चलाए जाने पर भी जोर दिया जाए। स्वच्छता के लिए साफ-सफाई युद्ध स्तर पर कराई जाए, सैनिटाइजेशन फागिंग का भी कार्य कराया जाए। स्वच्छ और शुद्ध पेयजल भी उपलब्ध रहे एवं पर्याप्त मात्रा में दवाएं भी उपलब्ध रहें। परंतु सरकार के लाख प्रयास के बाद भी अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कछौना में जल निकासी की व्यवस्था ना होने के कारण परिसर में जल भरा रहता है जिसके कारण संक्रामक बीमारी फैलने की प्रबल संभावना बनी रहती है, वहीं सफाई व्यवस्था भी सुचारू रूप से न होने के कारण जगह-जगह कूड़े के ढेर एवं परिसर में झाड़ी उगी है। पेड़-पौधों के ट्री गार्ड सही तरीके से नहीं लगे हैं। विवादित जमीन का मामला निस्तारण न होने के कारण बाउंड्री वाल भी नहीं बनी है जिसके कारण परिसर में आवारा पशु घूमते रहते हैं। कई कंडम गाड़ियां खड़ी हुई हैं जिनको विभाग द्वारा नीलाम न कराए जाने के कारण वह सब परिसर में पड़ी हुई हैं। पेड़-पौधों की गुड़ाई का भी कार्य नहीं कराया जाता है। विभागीय अधिकारी पर्याप्त मात्रा में स्टाफ न होने की बात कहते हैं जिससे परिसर बीमार नजर आता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को बेहतर करने के लिए विधान परिषद सदस्य इंजीनियर अवनीश कुमार सिंह द्वारा गोद लिया गया है उन्होंने बताया कि शीघ्र ही आपको बदलाव नजर आएगा जिससे हमारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आदर्श केंद्र बन सके और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके इसके लिए सरकार सतत प्रयासरत है।
इसके अलावा अब सरकार ने अस्पतालों की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए डॉक्टरों से प्रशासनिक कार्य न कराने की पहल की है जिससे डॉक्टर मानसिक रूप से केवल मरीजों का बेहतर इलाज कर सकें, उनको मैनेजमेंट से दूर रखा जायेगा एवं इसकी जगह पर एमबीए डिग्री धारकों को वरीयता के आधार पर जिम्मेदारी सौंपी जायेगी। यह सरकार का एक सराहनीय प्रयास है।

ख़बर- पी.डी. गुप्ता