पत्रकारिता और लेखन मेरा जीवन है

● आज (३ मई) ‘विश्व प्रेस स्वाधीनता-दिवस’ है।

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

‘पत्रकारिता के क्षेत्र में एक साप्ताहिक समाचारपत्र से लेकर दैनिक समाचारपत्रों में कार्य करने के अनुभव ने मेरे जीवन को वैश्विक रूप दिया है। देश के चार पत्रकारिता-संस्थानों और तीन न्यूज़, फ़ीचर तथा रिपोर्टिंग सिण्डिकेटों में ‘निदेशक’ के पद-दायित्व ने यह बहुविध सिखा दिया है कि पत्रकारिता का जीवन में कितनी उपयोगिता और महत्ता है। इसका सारा श्रेय अपने अक्खड़ मिज़ाज, अपनी हठधर्मिता, दुर्धर्ष जीवन जीने की अपनी कला और शैली, अपने अध्यवसाय-अध्ययन- अनुशीलन-अभ्यास तथा अभाव में भी भावदर्शन करने की अपनी सामर्थ्य को देता हूँ।

यही कारण है कि पत्रकारिता मेरे लिए ‘हस्तामलक’ रही है। समय-समय पर इच्छाशक्ति इतनी प्रबल होती रही कि ‘पत्रकारिता और जनसंचार’ का परिदृश्य निम्नांकित कृतियों के माध्यम से समुपस्थित होता रहा है :—
१- पत्रकारिता– परिवेश और प्रवृत्तियाँ
२- मीडिया– दृष्टि और सन्दर्भ
३- मीडिया और प्रेस-विधि
४- जनसंचार– दृश्य-परिदृश्य
५- मीडिया– आयाम और प्रतिमान
६- साक्षात्कार– विधा और सन्दर्भ
७- चमत्कार ‘संचार’ के।

पत्रकारीय यात्रा का अगला प्रवास होगा, ‘समग्र मीडिया-मन्थन’, जिसके लिए डग भर चुका हूँ।