ग्रामीण पत्रकार और कवि सुधीर अवस्थी के मन की बात

सुधीर अवस्थी ‘परदेशी’

व्याकुल मन की अकुलाहट को शब्द दिए बिना मुझसे नहीं रहा जाता। यही मेरी मजबूरी और कमजोरी है। जिससे कई बार मुझे सुखद और दुखद स्थितियों का सामना करना पड़ा। अपनी व्याकुल मन की पीड़ा को शब्द दे रहा हूं। क्षमा करें !

ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन हरदोई शाखा द्वारा आयोजित वर्तमान परिवेश में बदलता पत्रकारिता का स्वरूप विचार गोष्ठी का आयेाजन हरदोई नगरपालिका सभागार में हुआ। यह आयोजन ग्रापए के जिलाध्यक्ष श्री अतुल कपूर जी के द्वारा किया गया। जिसमें इस बार मुझे कछौना के पत्रकार साथी मनोज तिवारी द्वारा बैठक में यह कहकर आने के लिए प्रेरित किया गया कि इस बार मौजूद जिलाध्यक्ष के अलावा किसी नए अध्यक्ष का चुनाव होना है। जिसमें जिसका समर्थन अधिक पत्रकार करेगें उसको ग्रापए का जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा। मुझे जानकर खुशी हुई। बैठक में पहुंच गया। तमाम पत्रकार साथी जाते ही जाते एक कागज पर हस्ताक्षर करा रहे थे। मुझसे भी कहा मैनें भी हस्ताक्षर किया हालांकि मैनें पूछा कि यह क्या है तो बताया कि हस्ताक्षर युक्त मनोज तिवारी के पक्ष में समर्थन है। बेझिझक हस्ताक्षर कर दिया। मैं सोच रहा था और भी कोई प्रत्याशी होगा लेकिन मुझे कोई नजर नहीं आया।

बैठक में प्रभारी जिलाधिकारी श्री आनन्द कुमार और पुलिस अधीक्षक श्री आलोक प्रियदर्शी नगर पालिका अध्यक्ष सुखसागर मिश्र ‘मधुर‘ जिले के प्रबुद्ध वरिष्ठ पत्रकार श्री अरूणेश बाजपेयी जी की मौजूदगी में कार्यक्रम की शुरूवात हो गई। वहां पर एसपी हरदोई द्वारा दिया गया भाषण मेरे दिलो दिमाग में समा गया। बहुत ही अच्छा लगा। इतना ही याद रहा कि पत्रकारिता अब प्रोफेशन के तर्ज पर की जा रही जबकि मिशनरी होना जरूरी है नहीं तो लगातार इसके मूल्यों में गिरावट आ रही है। मंच पर आए जिले के वरिष्ठ पत्रकारों ने मंचासीन अतिथियों के समक्ष संगठन का जिलाध्यक्ष युवा बनाने के साथ श्री कपूर जी को संरक्षक की भूमिका में रहने की बात कही। जिस पर मंचासीन लोगों ने कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी। जिलाध्यक्ष के बदलाव में पक्षधर एक पत्रकार महोदय को बैठक से बाहर जाने के लिए कह दिया। यह बात सबको खराब लगी। मंच से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर मनोज तिवारी को जिलाध्यक्ष बनाने को लेकर पत्रकार नारेबाजी करने लगे। यह सब करने वहां कोई नहीं गया था। लेकिन जो हुआ उससे वहां पर मौजूद पत्रकारों को नागवार गुजरा। ग्रापए प्रान्तीय महासचिव केजी गुप्ता ने सबको शान्त करते हुए कहा कि संगठन के बाइलाज के अनुसार जिलाध्यक्ष होगा। श्री कपूर जी ने यहकर इस्तीफा दे दिया कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते। वह सदैव इसके पक्षधर रहे हैं कि कोई आगे आए जब नहीं आया तो वह इतने दिन से जिलाध्यक्ष होते रहे।

चर्चा है कि ग्रापए से जुड़े पत्रकार साथी श्री कपूर जी का साथ संरक्षक की भूमिका में चाहते थे। बदलाव की बयार को श्री कपूर जी नहीं भांप पाए। श्री कपूर जी की प्रतिभा का सामना करना हर किसी के बश की बात नहीं शायद इसीलिए सोची समझी रणनीति के तहत ऐसा हुआ। चर्चा तो यहां तक है कि बाहरी पत्रकारों से अधिक ग्रापए संगठन से जुड़े पत्रकारांे ने बदलाव की चाहत में मनोज तिवारी का समर्थन किया।

श्री अतुल कपूर जी वाणी विनायक हैं। इसमें कोई सन्देह नहीं। हम तो माइक थामते ही उनके एक-एक शब्द को गौर से सुनने के साथ माइक निहारते हैं। मुझे याद है विगत वर्षाें पूर्व जब पहली बार संगठन की सदस्यता ली थी तो मोटरसाइकिल मांग कर पिहानी गए थे। जहां कागज जमा किए और श्री कपूर जी ने मना करने के बाउजूद भी मुझे बहुत अच्छी मिठाई खिलाई थी। जल्द ही पहचान पत्र भी मिला था। कई बार विकास भवन हरदोई, सण्डीला, बघौली और कछौना में संगठन के कार्यक्रम में जाना हुआ। जहां पर उनके मंच संचालन को देखा अपनी नजरों में उनकी प्रभावशाली वाकपटुता मंचीय शैली की योग्यता और दक्षता का मुरीद हूं। हालांकि मुझे उन दिनों यह कष्ट रहा कि मुझे संगठन ने इस लायक नहीं समझा कि कोई पद दे देता। सिर्फ सदस्य बनकर संगठन में रहने का मन नहीं किया इसलिए किनारा कर लिए। फिर भी श्री कपूर जी को सुनने के लिए मेरा मन बारम्बार उनकी याद करता रहता है। हिन्दुस्तान अखबार की मीटिंग में जब भी श्री कपूर जी आते हैं उनकी शेरो-शायरी सुनकर मन खुश हो जाता है। जिलाध्यक्ष रहने न रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता। श्री कपूर जी वरिष्ठ पत्रकार हमारे लिए आदर्श एवं सम्माननीय हैं। उनकी काव्य प्रतिभा और व्यक्तित्व प्रभावशाली सराहनीय है। हर मोड़ पर हम उनके साथ हैं। रही बात मनोज तिवारी की वह भी हमारे लंघोटिया यार हैं। यथा सामथ्र्य सुख-दुख के साथी हैं। हम सदैव आप सबके सम्मान और स्नेह में यथा सामथ्र्य यथोचित व्यवहार करने के लिए सदैव तत्पर हूं।