यह सन्देश उनके लिए, जो संसार को जीत लेने की सामर्थ्य विकसित कर सकते हों।
परवाह किसी की मत करो। जीवन-यात्रा के पाथेय के रूप मे सकारात्मक जीवन-दिशा-निर्धारण करते हुए, व्यवधान, व्यतिक्रम, अवरोध आदिक नकारात्मक प्रवृत्तियों को सुदूर धकेलते हुए, एक ऐसे गह्वर मे डाल दो, जिससे उनके अवशेष तक मिट जायें। भाग्य, क़िस्मत, तक़दीर, विधाता, दैव, वक़्त, विधि का विधान आदिक विकल्पों को अपने जीवन का आभूषण मत बनाओ। जब भी तुम्हारी दृष्टि उन्मीलित हो, स्वयं को कर्म करते हुए पाओ। मनसा-वाचा-कर्मणा कर्त्तव्य के प्रति आग्रही बनो, जिसमे तुम्हारा ‘लक्ष्यसंधान’ निहित रहता है; एक दिन सारा संसार तुम्हारे क़दमो मे होगा।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ३ फ़रवरी, २०२४ ईसवी।)