इसे कहते हैं, ‘घटिया/ अनैतिक पत्रकारिता’!

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय-


अनुरोध—इस क़िस्म की अनैतिक पत्रकारिता को इतना बाँटिए (Share) कि सम्बन्धित तन्त्र संचालित करनेवालों की आँखें खुल सकें।


मीडिया–चरित्र-चाल-चेहरा (सारे प्रमाण मेरे पास हैं।)
पहली घटना—– किसी गाँव के १४ साल की किशोरी को उसका चाहनेवाला रज़ामन्दी के आधार पर ले भागता है।
अख़बार में समाचार छापा जाता है :——–
० युवती को प्रेमी लेकर फुर्र
दूसरी घटना— किसी महापुरुष की पुण्यतिथि का आयोजन किया जाता है।
अख़बार में समाचार छापा जाता है :———
० महापुरुष का जन्मदिन मना
तीसरी घटना—– रेल-दुर्घटना में दो लोग मर जाते हैं। पहला व्यक्ति रेलगाड़ी से कुचल कर मर जाता है और दूसरा डिब्बे का धक्का लगने से।
अख़बार में छापा जाता है :————
० ट्रेन से कुचल कर दो लोग मारे गए
चौथी घटना—– किसी आयोजन में मुख्य अतिथि ने कहा– देश में शिक्षा का भविष्य संतोषजनक नहीं है | अध्यक्ष ने कहा– शिक्षा को पारदर्शी बनाने की ज़रूरत है।
अख़बार में छापा जाता है :————-
मुख्य अतिथि ने कहा– शिक्षा को पारदर्शी बनाने की ज़रूरत है।
क्यों ऐसा हो रहा है?
न सम्पादक इन ग़लत और आपत्तिजनक समाचारों का संज्ञान लेता है और न ही बैठकों में इन विसंगतियों पर कोई चर्चा-परिचर्चा की जाती है, जिनका परिणाम होता है, संवाददाता ‘मनबढ़’ हो जाते हैं।
0 है कोई संवाददाता जवाब देनेवाला? है कोई सम्पादक स्पष्टीकरण करनेवाला? है कोई अख़बार का मालिक सम्पादक से प्रश्न करनेवाला? है कोई मीडिया का ठीकेदार अपना औचित्यपूर्ण तर्क करनेवाला?