‘उत्तरप्रदेश लोकसेवा आयोग’ की सामान्य हिन्दी की मुख्य परीक्षा के प्रश्नपत्रों में अशुद्धियाँ-ही-अशुद्धियाँ!..?

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय (भाषाविद्-समीक्षक), प्रयागराज-

18 अक्तूबर को उत्तरप्रदेश लोकसेवा आयोग की ओर से आयोजित सामान्य हिन्दी की मुख्य परीक्षा के प्रश्नपत्र में ‘अधिकतम अंक’ दिया गया है, जबकि ‘पूर्णांक’ होना चाहिए, तभी ‘पूर्णांक-प्राप्तांक’ की सार्थक शब्दावली बनती है। इसके पहले प्रश्न में एक गद्यांश दिया गया है, जिसमें लिंग और विराम चिह्नों का अशुद्ध प्रयोग किया गया है; जैसे– जो उसकी आत्मा के स्थान पर ‘जो उसके आत्मा’ का प्रयोग होगा; क्योंकि आत्मा ‘पुंल्लिंग’ है। ‘जो उसकी आत्मा’ से पूर्व अर्द्ध विराम चिह्न (;) का प्रयोग होगा। ‘जो उसके हृदय को’ के पूर्व अर्द्ध विरामचिह्न लगेगा। ‘छोटे-छोटे संकीर्ण स्वार्थों’ का प्रयोग अनुचित है; क्योंकि संकीर्ण शब्द में ही लाघव का भाव है।

अब प्रश्नसंख्या 2 देखें :– यद्यपि-तथापि के प्रयोग के समय तथापि से पूर्व अल्प विरामचिह्न (,) नहीं लगता, जबकि यहाँ लगाया गया है। इसी वाक्य में ‘जोखिम लिए’ में ‘लिए’ की वर्तनी ‘अव्यय’ है, जबकि यहाँ ‘अव्यय’ का प्रयोग नहीं है। इसी के आगेवाले वाक्य में ‘सन्तुलनों’ का प्रयोग है, जबकि ‘सन्तुलन’ ही होगा। इसी अवतरण में ‘पूर्वाग्रहों’ का प्रयोग है। यहाँ पर दो प्रकार की अशुद्धियाँ हैं :– 1- पूर्वाग्रहों कोई सार्थक शब्द नहीं है। आग्रह से ‘आग्रहों’ नहीं बनता। 2- यहाँ ‘पूर्वग्रह’ का प्रयोग होगा। इसके अन्तिम वाक्य में ‘लगावें’ और ‘बनावें’ के स्थान पर ‘लगायें’ और ‘बनायें’ होगा। इसी अवतरण में कहीं ‘किन्तु’ से पूर्व अल्प विराम का चिह्न लगा है, कहीं नहीं। यहाँ विचारणीय है, अल्प विराम का चिह्न लगेगा अथवा अर्द्ध विराम का चिह्न लगेगा? प्रश्नसंख्या 3– (क) ‘सेवानिवृत्ति वय’ के स्थान पर ‘सेवानिवृत्ति-वय’ होगा। (ख) में ‘स्वास्थ्य विभाग’, ‘स्वास्थ्य मन्त्रालय’ तथा ‘भारत सरकार’ के स्थान ‘स्वास्थ्य-विभाग’, ‘स्वास्थ्य-मन्त्रालय’ तथा ‘भारत-सरकार’ होगा; क्योंकि यहाँ षष्ठी तत्पुरुष समास है। इसी में ‘तैयार कीजिए’ के आगे अल्प विरामचिह्न लगेगा। प्रश्नसंख्या 4-5-6 (ख)– इनमें क्रमश: ‘अक्कड़’, ‘वैतनिक’ तथा ‘सौजन्यता’ से पहले ‘तथा’ लगेगा और बाद में पूर्ण विरामचिह्न। प्रश्नसंख्या 8– यह मुहावरा/कहावत से सम्बन्धित प्रश्न है। कहावत पूर्ण वाक्य होते हैं, जिनके अन्त में पूर्ण विरामचिह्न लगेगा; किन्तु यहाँ छोड़ दिये गये हैं।

(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २२ अक्तूबर, २०१९ ईसवी)