सई नदी की करुण कथा : पौराणिक और ऐतिहासिक नदी मर रही है

ऐसे बेहूदे राजनेता देशद्रोही हैं; उनका बहिष्कार करें

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

“पहले लोग सोचते थे कि पिछले जनम मे हमने न जाने कौन-से पाप किये थे कि ‘भारत’ मे पैदा हुए थे।”

जिस बेहूदे राजनेता ने विदेशी धरती पर जाकर ऐसा कहा था, वह अब भी ज़िन्दा है। उसकी जीभ काट लेनी चाहिए थी। वह जबसे भारत की राजनीति मे आया है तबसे हमारे गौरवमय देश का अपमान भारत से बाहर जाकर करता आ रहा है।

अरे महानीच! तुझे मालूम नहीं, यह भारत देश दधीचि, कर्ण, गार्गी, मैत्रेयी, भरद्वाज, वशिष्ठ, वाल्मीकि, शबरी, महाराज रघु, गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी, वीर भगत सिंह, दुर्गा भाभी, कल्पना दत्त, सुभाषचन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आज़ाद, लियाक़त अली, मंगल पाण्डेय, अशफ़ाकउल्लाह, महारानी लक्ष्मीबाई, पन्नादाई, महारानी दुर्गावती, महारानी पद्मिनी, महाराणा प्रताप इत्यादिक सहस्रों महान् पुत्र-पुत्रियों का रहा है।

विदेशी धरती पर हमारे महान् देश के लिए अति अपमानजनक बातें करनेवाले विश्वासघाती! तेरी जिह्वा उसी समय कटकर गिर क्यों नहीं गयी थी?

कोई राजनेता अथवा अन्य कोई किसी भी देश मे जाकर हमारी गौरवशाली परम्परा का अनादर करता हो तो उसकी ऐसी ‘ख़ातिरदारी’ करनी चाहिए कि उसकी सात पीढ़ियाँ भारत राष्ट्र को बदनाम करने का विचार मन मे लाने के पहले हज़ार बार सोचे।

इधर, कुछ वर्षों से हमारे देश को अपमानित करने मे होड़-सी लग गयी है। सत्ता पाने और पाने के बाद उसमे बने रहने के लिए जिसे जो मन मे आता है, बके जा रहा है। ऐसे देशद्रोही और घृणित राजनेताओं की प्रत्येक गतिविधि का विरोध किया जाना आवश्यक है, अन्यथा वे सभी मिलकर हमारे उन्नत राष्ट्र की महनीय संस्कृति को खा-चबा-पचा जायेंगे और हम देखते रह जायेंगे।

(सर्वाधिकार सुरक्षित― आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १७ मार्च, २०२३ ईसवी।)