हिन्ददेश परिवार की मध्यप्रदेश इकाई द्वारा रामायण पर आधारित कार्यक्रम का 5 मई को होगा श्रीगणेश

तिनसुकिया:- हिन्ददेश परिवार की मध्यप्रदेश इकाई द्वारा आयोजित रामायण पर विशेष कार्यक्रम के आयोजन का श्री गणेश 5 मई 2022 से किया जाएगा।

कार्यक्रम के बारे में हिन्ददेश परिवार की संस्थापिका व अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्चना मिश्रा अर्चि ने बताया कि हिन्ददेश परिवार जो संसार को सुन्दर व खुशहाल बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। कलम के माध्यम से संसार मे प्रेम व शांति का प्रचार ओरसार करना इस संस्था का परम उद्देश्य है इसी को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश इकाई द्वारा 5 मई से रामायण पर आधारित विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। जिसका समय विभाग चक्र घोषित किया गया है। इस विशेष कार्यक्रम में सभी का सहयोग अपेक्षित है । इस अभिनव दिव्य आयोजन में सभी की सहभागिता वांछनीय है। यह एक धर्म यज्ञ है।इस पावन पुनीत यज्ञ में हम सभी अपनी अपनी समिधा अर्पित करें । आप 5 मई गुरुवार से शुरू होने जा रहे इस कार्यक्रम में अपनी सुविधानुसार किसी भी एक दिवस के प्रसंग का चयन करना है। और उस प्रसंग का आप या तो स्वरचित रचना से पाठ करें या फिर गोस्वामी तुलसीदास जी कृत श्री रामचरित्रमानस से चौपाइयां लेकर पाठ करें। उस दिवस की पूरी विषय सामग्री को समाहित करने का प्रयास करें। और काव्यपाठ के पश्चात उस प्रस्तुत विषय मे छुपे तत्व की भी व्याख्या करें। समय प्रतिदिन शाम 7 बजे से पौने 8 बजे तक यानि 45 मिनट रहेगा।

प्रथम दिवस (बालकाण्ड) राजा दशरथ जी का संतान प्राप्ति विचार, यज्ञ, प्रभु का जन्म, गुरुकुल गमन, ताड़कावध, अहल्याउद्धार, धनुषभंग, सीतास्वयंवर से बन्धुओ के साथ ओढ़ता आगम। द्वितीय दिवस (अयोध्या काण्ड) रामराज्य विचार से दसरथ प्राण गमन तक।तृतीय दिवस- भरत जी की वापसी से लेकर नंदी ग्राम में पादुका स्थापना। चतुर्थ दिवस (अरण्य काण्ड) जयंत कथा से लेकर सीता हरण तक। पंचम दिवस (किष्किंधा काण्ड) प्रभु का सीता जी की खोज में निकलना। सीता जी का पता लगाए जाने के लिए वानर सेना का प्रस्थान और हनुमान जी को उनका बल याद दिलाना। षष्ठम दिवस (सुन्दर काण्ड) सम्पूर्ण। सप्तम दिवस (लंका काण्ड) नल नील के द्वारा सेतु निर्माण से लेकर लक्ष्मण शक्ति और फिर उनका मूर्छा से जागने तक। अष्ठम दिवस कुम्भकर्ण का रावण को समझाने से लेकर मेघनाथ वध तक। नवम दिवस युद्ध की विकरालता, विभीषण द्वारा रावण का भेद बताना और रावण का अंत विभीषण का राजतिलक। दशम दिवस सीता जी का अग्नि प्रवेश वर्णन की गृह वापसी प्रभु का अवध गमन। ग्यारहवां दिवस (उत्तरकाण्ड) गंगा पार केवट से मिलन, भरत जी की व्यग्रता प्रभु का अवध प्रवेश राज्य तिलक और सखाओं की वापसी। बारहवां दिवस- रामराज्य का वर्णन। तेरहवाँ दिवस सनकादिक मुनियों को प्रभु का दर्शन और विनय। चौदहवाँ दिवस हनुमान जी के माध्यम से प्रभु का ज्ञान दान और वशिष्ठ जी को ज्ञान दान और स्वरूप दर्शन। पन्द्रहवां दिवस-देवी उमा का शंका निवारण। सोलहवां दिवस- गरूड़ जी और काकभुशुण्डि जी की कथा सम्पूर्ण। सत्रहवाँ दिवस-गुरु से द्रोह शिवजी का श्राप रूद्राष्टक स्रोत लोमश मुनि का ज्ञान। अठारहवाँ दिवस-देवी उमा और भगवान शिव संवाद और तत्व दर्शन। तत्पश्चात आरती।

इस कार्यक्रम में भाग लेने हेतु इस मोबाइल नम्बर पर सम्पर्क कर सकते हैं-9424656831।