कानपुर के आठ पुलिसकर्मियों की हत्याकाण्ड में काररवाई शुरू

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

एस०टी०एफ० के डी०आइ०जी० अनन्तदेव तिवारी को उनके वर्तमान पद से हटाकर पी०ए०सी०, मुरादाबाद का डी०आइ०जी० बनाया गया है। उन्हें इसलिए वहाँ हटाया गया है; क्योंकि यह आशंका जतायी जा रही थी कि विकास दुबे-प्रकरण को वे कहीं प्रभावित कर दें। यद्यपि अनन्तदेव पर मामूली काररवाई की गयी तथापि वे अभी जाँचसमिति के राडार पर हैं।

उल्लेखनीय है कि अनन्तदेव जब लम्बे समय से कानपुर के वरिष्ठ पुलिस-अधीक्षक थे तब विकास दुबे १०० से अधिक प्रकरण का आरोपित था। ऐसे में, अनन्तदेव क्या कर रहे थे? उन्होंने वीरगतिप्राप्त सी०ओ० देवेन्द्र मिश्र की मौखिक और लिखित शिकायत का संज्ञान न लेने की जगह मिश्र के जिस प्रकार की शब्दावली का प्रयोग किया था, वह इस तथ्य को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त है कि अनन्तदेव तिवारी नहीं चाहते थे कि विकास दुबे पर कोई काररवाई हो। यद्यपि अनन्तदेव को तेज़-तर्राट पुलिस-अधिकारी माना जाता रहा है तथापि मौखिक और लिखित साक्ष्य सामने आने से उनकी कर्त्तव्यपरायणता पर गम्भीर प्रश्नचिह्न तो लग ही चुका है। अब देखना है, जाँच किस-किस दिशा में जा रही है।
उत्तरप्रदेश के २०० पुलिस-अधिकारी और सामान्य पुलिसकर्मियों के विरुद्ध जाँच शुरू हो चुकी है।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ७ जुलाई, २०२० ईसवी)