
व्याकरणवेत्ता एवं भाषाविज्ञानी आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने हाल ही मे उत्तरप्रदेश लोकसेवा आयोग, प्रयागराज की ओर से सहायक अध्यापक-पद पर चयन किये जाने की परीक्षा-प्रक्रिया के अन्तर्गत ‘स्क्रीन टेस्ट’ मे दीर्घ उत्तरीय प्रश्नो को सम्मिलित किये जाने के निर्णय का स्वागत करते हुए बताया है कि यह निर्णय बहुत पहले ही किया जाना चाहिए था; क्योँकि इससे ‘स्क्रीन टेस्ट’ मे पारदर्शिता दिखेगी तथा किस अभ्यर्थी/परीक्षार्थी के पास कितना और किसप्रकार का व्याकरणसम्मत शब्दबोध है, इसका परीक्षण भी हो जायेगा। गोले लगाकर उत्तर देने से बृहद् अध्ययनशीलता समाप्ति की ओर जा रही है।”
आचार्य ने यह भी कहा, ”एक प्राध्यापक किसी शिक्षण-संस्थान का उच्चकोटि का पद होता है, इसलिए उसकी अर्हता प्राप्त करने के लिए किसी परीक्षार्थी मे विस्तृत प्रासंगिक लेखन करने की क्षमता का होना, एक अपरिहार्य विशेषता होती है।” उन्होँने समस्त परीक्षाओँ मे गोले लगाकर उत्तर देने की पद्धति को समाप्त करने की माँग की है।