
आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला
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इन दिनो एक शब्द अतीव चर्चा-परिचर्चा का विषय बना हुआ है, जो है– पसमांदा।
वास्तव मे, इस शब्द की शुद्ध वर्तनी है, ‘पसमान्द:’, जो ‘पसमान्दा’ नाम से प्रचलित है। यह फ़ारसी-भाषा का शब्द है, जो शब्दभेद के विचार से विशेषण-शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ है, ‘शेष रह गया’, ‘शेष रह गयी वस्तु’ इत्यादिक।
यह शब्द इसलिए चर्चा के केन्द्र मे है; क्योँकि उसके आगे ‘मुसल्मान’ (‘मुसलमान’ अशुद्ध है।) संज्ञा-शब्द है। इसप्रकार इन दिनो ‘पसमान्द:/पसमान्दा मुसल्मान’ मुखर रूप मे दिख रहा है। इसके अनेक अर्थ हैँ :– ‘मुसल्मान’-सम्प्रदाय मे सबसे पिछड़ा और दबा-कुचला वर्ग’; मृत जन की संतति तथा प्रगति की दृष्टि से अत्यन्त पिछड़े लोग आदिक।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ६ अप्रैल, २०२५ ईसवी।)