दूसर क पत्तर मा छेद करैं वालन क नून चाटौ

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

वाह!
ग़ज़ब की ख़्वाहिश!

चड्ढी, ब्रा, लँगोटा मे भी इन महापुरुषों के चित्र चिपका देने चाहिए।

यह तब है, जब चुनाव आयोग के द्वारा ‘चुनाव आचार संहिता’ लागू है।

आश्चर्य की बात है! यह नमक का पैकेट उस स्थान पर एक कोटेदार-द्वारा बेचा जा रहा है, जहाँ ‘न्यू इण्डिया की सरकार और भारतीय जनता पार्टी-सरकार के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी सांसद हैं। जी हाँ, सही फ़र्माया– यह मुआ नमक क पैकटवा मोदीन आ योगीन क फोटउवा बदै मरत जात बा; चिपकाए पड़ा बा सार।

इ भूख अस खतरनाक होत हय कि देसवो क बेचै मा कवनो कोर-कसर नाहिं छोड़त हय। भलौ कवनो क चेहरा कुकुर-जस होय भा गदहा-जस होय। इ मेर क भूखै सार ग़जबो क चाहत लै क आवत हय।

एक अइसन कम्पटीसन होय चाहें कि भुक्खड़न क चौखटा जोर मारि क देखावा जाय, जेसे दरिदर क भाव मेट जाय।

आपन चौखटा देखावे मा फरहर पूरे संसार मा एकै जनै है। वोह सार क आपन कुकुर-जस चेहरा देखावे मा गजब क भूख बा। ओकरै ऊपर दुइ उपनियास (भोजपुरी-खड़ी बोली) आ भोजपुरिया फिलम क पटकथा लिखै क हमरौ चाहत जोर मारै पड़ा बा। बस सुरू करै क बात बा, ओकरै बाद त छ महीना मा इ सब करम होइ जाय।

कई साल से ललटेन जराइ आ टारच बारि क संसद से सड़क आ गलियारा तकै घूमि-घामि क हम थकि-हारि गये, मुला एकौ नमूना नाहिं अँखिया मा डूबै-उतराइ।

इ बोली इलाहाबाद, बनारस अउर बलिया क मिलाइ-जुलाई क ह। एह मा ‘डबल इंजन’ नाहीं बा। एमा इंजनै-इंजन बा; जेहर चाहो ओहर घुमाई द; डिब्बवा उह सपीड मा उड़ै लागै क अँगुरी मा घुसै जाय, इह रूप मा– हाय दऊ! इ सार त हेलीकापटर-जस उड़ै लाग।

हमहूँ अइसन ‘ओरीजनल पीस बाड़न, जेकै सबै लिखै क भूख भरल बा।

त चल, समयवा बताइ की भुक्खड़न क भूख मेटइ बरै का-का किहा जाय सकत हय।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १५ जनवरी, २०२२ ईसवी।)