उत्तरप्रदेश-शासन प्राथमिक अध्यापक-पद पर नियुक्ति के लिए कब गम्भीर होगा?

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय


उत्तरप्रदेश में १० लाख सरकारी पद रिक्त हैं, जिनमें से २ लाख २४ हज़ार ३२७ स्थान मात्र प्राथमिक शालाओं में रिक्त पड़े हैं।

वस्तुस्थिति यह है कि महीनों से लखनऊ में बी०एड्०-टेट के सुयोग्य अभ्यर्थी अध्यापन-पद पर, न्यायालय के आदेशानुसार, अपनी नियुक्ति चाहते हैं; परन्तु बदले में सरकार पुलिस की लाठियों से उनके हाथ-पैर तोड़वा दे रही है। आश्चर्य है, न्यायालय अपनी अवमानना के प्रति गम्भीर नहीं है।

उत्तरप्रदेश की सरकार पूरी तरह से दोषी है। वास्तविकता को समझना हो तो आप उत्तरप्रदेश की किसी भी प्राथमिक शाला में पहुँच जाइए। वहाँ कुल २-४ ही अध्यापकों की नियुक्ति दिखेगी। ऐसे में, हम यदि ऐसी शालाओं में शैक्षिक गुणवत्ता की बात करते हैं तो वह कीचड़ में लाठी पटकने-जैसी है।

प्रश्न सुस्पष्ट है, उत्तरप्रदेश प्राथमिक शालाओं में जब लाखों की संख्या में स्थान रिक्त हैं तब महीनों से आर्थिक अभाव से ग्रस्त लखनऊ में जो निर्धारित अर्हता और अभियोग्यता-प्राप्त अभ्यर्थी नियुक्ति की आशा में आन्दोलनरत हैं, उनकी नियुक्ति क्यों नहीं की जाती?

उत्तरप्रदेश के मुख्य मन्त्री यदि इस दिशा में तत्काल सकारात्मक निर्णय कर उक्त अभ्यर्थियों को बेरोज़गारी के दंश से मुक्त नहीं करते तो अपना बोरिया-बिस्तर अभी से बाँध लें।

(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद; ६ अगस्त, २०१८ ईसवी)