व्यंग्य : नेताओं का बोलबाला

प्रांशुल त्रिपाठी, सतना, हिनौती, मध्य प्रदेश

संसद भवन में आज
नेताओं का बोलबाला चल रहा है ।
अब हमारे देश में सिंधिया जैसे
नेताओं का जन्म हो रहा है ।

कोई खुद को बेच रहा है
तो कोई किसी को खरीद रहा है ।
देश का ख्याल कहाँ इन्हें
अपने-अपने में ही हर कोई मर रहा है ।
आज हमारा देश कोरोना
बीमारी से लड़ रहा है ।
कोई खुद को मामा
तो कोई चाचा बता रहा है ।
राम और रहीम कर देश में
भाई को भाई से लड़ा रहा है ।
संसद भवन में आज नेताओं का
बोलबाला चल रहा है ।
अब हमारे देश में सिंधिया जैसे
नेताओं का जन्म हो रहा है ।

हमारा नेता नींद में ही
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का ज्ञान दे रहा है ।
बीच चौराहे पर
बहन बेटियों का बलात्कार हो रहा है ।
आज हर एक बाप
बेटी के पैदा होने पर रो रहा है ।
क्योंकि मासूम बेटियों का भी
यहाँ बलात्कार हो रहा है ।
अब हमारे देश में आसाराम जैसे
योगियों का जन्म हो रहा है ।
संसद भवन में आज नेताओं का
बोलबाला चल रहा है ।
अब हमारे देश में सिंधिया जैसे
नेताओं का जन्म हो रहा है ।

हमारा नेता जातिगत आरक्षण की
वकालत कर रहा है ।
पढ़ा-लिखा जवान आज
बेरोजगार हो रहा है ।
कर्ज से लदा किसान
हर दिन फांसी चढ़ रहा है ।
गरीबी से तंग सारा परिवार
ज़ह्र खा रहा है ।
नेताओं की नज़र में सब कुछ
अच्छा हो रहा है ।
संसद भवन में आज नेताओं का
बोलबाला चल रहा है ।
अब हमारे देश में सिंधिया जैसे
नेताओं का जन्म हो रहा है ।

गांव का विद्यार्थी शिक्षा और
शिक्षक के अभाव में रो रहा है ।
कन्या पाठशाला के नाम पर
नेताओं का खजाना भर रहा है ।
देश में अंगूठा छाप भी मंत्री
और प्रधान मंत्री बन रहा है ।
पढ़ा-लिखा जवान इन का
नौकर और बॉडीगार्ड बन रहा है ।
देश का जवान छाती पर
गोली खाकर सो रहा है ।
यहाँ तो बुलेट ट्रेन का
सौदा हो रहा है ।
नेताओं को इसका ख्याल कहाँ
वह तो अपना महल बना रहा है ।
संसद भवन में आज नेताओं का
बोलबाला चल रहा है ।
अब हमारे देश में सिंधिया जैसे
नेताओं का जन्म हो रहा है ।