सई नदी की करुण कथा : पौराणिक और ऐतिहासिक नदी मर रही है

हिमाचल गान

December 3, 2023 0

उच्च हिमालय, बहती नदियांकल-कल करतीझरनों की आवाजें।फैली हरियाली, सुगंधित सुमनमहके समीर, बहकी कलियाँऐसी गोद हिमाचल की।जय जय जय हिमाचल की। ऊंचे वृक्ष, नीची नदियांकर्कश ध्वनि करती चट्टानेचहकते पक्षी, महकती फसलेंसरसराहट करता पानी।गरजते बादल, बरसते घनऐसी […]

बिनब्याही अपूर्णता

November 28, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• सुनो न!तुम्हारी पूर्णताभाती नहीं मुझे;क्योंकि तुम मुझसेद्रुत गति मे चलायमान हो।हाँ, मै अपूर्ण हूँ।तुम मुग्ध हो, अपनी पूर्णता परऔर मुझे गर्व है, अपनी अपूर्णता पर;क्योंकि आज मुझेएहसास हो रहा है […]

मन से मन की

November 28, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• मेरी अनहद१ बाँसुरीप्रलय की धुन सुनाती है।कातर२ आँखें,जन-जीवन से पृथक्दृष्टि-अनुलेपन३ करती हैं,काल के कपोलों पर।मुझ पर दृष्टि चुभोती,विहँसती, अल्हड़ गौरैयापंख झाड़, फुर्र हो जाती है।मेरे मन को तलाश↑ है,एक निस्तब्ध४-निस्पन्द५नीरव६-निभृत […]

जनता निचुड़ी जा रही, सुधि लेगा अब कौन?

November 27, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• एक–राजनीति को क्या कहें, शब्द सभी हैं मौन।जनता निचुड़ी जा रही, सुधि लेगा अब कौन?दो–मुख पर चुगली नाचती, लिये पनौती माथ।वाम विधाता दिख रहा, छोड़ेंगे सब साथ।।तीन–अस्ली-नक़्ली सब यहाँ, भेद […]

जीवंत जीवन

November 24, 2023 0

बढ़ गए जीवन में तोउड़ते रहोगेजीवंत पक्षी की तरह।नहीं तो टूट करबिखर जाओगेकिसी शाख केमुरझाये पत्ते की तरह। जीवंत हो तोजीना पड़ेगासूर्य चांद की तरह।नहीं तो पड़े रहोगेश्मशान कीजली-बुझी हुईराख की तरह। जीवंत हो तोमहकते […]

कविता : दौर

November 21, 2023 0

एक दौर आएगा मेराएक शोर आएगा मेरा। समझते थे जो मुझेऔरों से भी कमजोरइतिहास-ऐ-पन्नों परअब नाम आएगा मेरा। एक वक्त थाकि लोग ना जानते थेना ही पहचानाते थेपर वक़्त के हर पनें परअब नाम आएगा […]

हारे को हरिनाम

November 15, 2023 0

कहु सजनी , अब कहँ – कहँ खोजूँ,तन – मन को विश्राम ।जहँ – जहँ जाउं, तहाँ – तहँ भटकन,हारे को हरिनाम ।।राम, कहँ पावै मन विश्राम ।। भाषा मौन , मौन परिभाषा युक्त,हो चला […]

कविता : दीप

November 12, 2023 0

सुनो!दीपों का त्यौहार आ रहा हैकुछ रोशनीअपने अंदर भी कर लेना। सुना है !अंधकार बहुत हैतुम्हारे अंदर भीतभी दिखता नहीं तुम्हेंऔरों का व्यक्तित्व । मगर दिख जाता हैसत्य की रोशनी मेंऔरों को तुम्हारा अहम। क्या […]

Dharma

November 11, 2023 0

Aditya Tripathi (Assistant Teacher, Hardoi/Managing Editor) Once upon a time in a serene village nestled amidst rolling hills, a remarkable phenomenon unfolded, where the protectors of religion experienced an extraordinary bond with the faith they […]

Our words and actions make big difference

November 10, 2023 0

Aditya Tripathi (Assistant Teacher, Hardoi) The young man named Peeyush stood in front of the crowd, his heart pounding in his chest. He had been practicing his speech for weeks, but now that the moment […]

God is always with us

November 6, 2023 0

Aditya Tripathi (Assistant Teacher, Basic Shiksha, Hardoi) In a time long forgotten, there existed a land where the seeds of righteousness were sown deep within the hearts of its people. Religion flourished, and its guiding […]

Only God desires happens

November 2, 2023 0

Aditya Tripathi (Asst. Teacher, Basic Education, Kothawan, Hardoi) Once upon a time, in a land brimming with dreams and aspirations, there dwelled a young man named Lakhan. His heart was ignited by a fierce ambition, […]

Religion is one and solely one and it is eternal

October 31, 2023 0

Aditya Tripathi (Govt. Teacher, Kothawan, Hardoi) Once upon a time, in a diverse land filled with people of different cultures and beliefs, there was a village nestled amidst rolling hills and lush green fields. The […]

The power of education

October 30, 2023 0

Aditya Tripathi (Asst. Teacher, B.E.D., Hardoi) Once upon a time in a small village Balamau, there lived a young boy named Peeyush. He came from a humble background, but he had big dreams. Peeyush understood the […]

सड़क सुरक्षा

October 28, 2023 0

सड़क दुर्घटना से अगर है बचनातो हमेशा हेलमेट पहने रखना।लापरवाही से वाहन ना चलाएंअपना व परिवार का जीवन बचाएं।हेलमेट को लगाएंअपना जीवन बचाएं।सड़क सुरक्षा का ज्ञानमिलता है जीवन दान।मत करो वाहन चलाते हुए मस्तीजिंदगी नहीं […]

नासमझ इश्क

October 28, 2023 0

हम ढूढ़ते रह गएउनको हर निग़ाह में,पर वो तो खो ही गएओर किसी की बाहों में। हम ने तो हमेशा उनसेइक़रार ही किया थापर वो ही हर बारइन्कार ही करते रह गए। हमने तो खो […]

झोंकरावन चाची के नावे तहार भतीजवा जरावन पाँड़े क एगो चीठी

October 27, 2023 0

भोजपुरिया लिक्खाड़ लोगवा! एही क कहल जाला भोजपुरी ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ए चचिया! तोरा क उठि-बइठि आ सूति-जागि के उठक-बइठक करत परनाम करत बानी। आछा त, तू खाँड़ी-चूकी ना हउ, सोगहगवे बाड़ू। आपना […]

जो रावण है मन के भीतर कैसे उसे जलाएँ?

October 24, 2023 0

जो रावण है मन के भीतर कैसे उसे जलाएँ? इस बहुरंगी दुनिया मे अपना किसे बताएँ? जो रावण है मन के भीतर कैसे उसे जलाएँ? सबके मन मे बसे राक्षस सत्य और शुचिता गायब है। […]

Blame Game Players

October 23, 2023 0

Blame game players, always pointing fingers, Never taking responsibility, their hearts like cringers. They divide families, spread discord and strife, Their toxic presence, a thorn in life. Beware these sleeve snakes, for they bite the […]

दिल की बातें ‘दिल’ से-दिल पे

October 22, 2023 0

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–कुछ कहने पे ज़बाँ, साथ देती ही नहीं,आँखें भी मुँह फेर लेती हैं, चुप रहने पे।दो–वे जब भी मिले, आँखें बदल-बदल कर,न कहीं इंकार मिला, न कहीं इक़्रार दिखा।तीन–उनके इस्रार का […]

ये सारा ब्रह्माण्ड ही माँ दुर्गा का विस्तार

October 21, 2023 0

राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’– इस भौतिक संसार में सब कुछ है बेकार। जिसने जगदम्बा को याद किया उसका बेड़ा पार। ये सारा ब्रह्माण्ड ही माँ दुर्गा का विस्तार। माँ को जिसका साथ मिला उसका हुआ […]

कृष्णपथ

October 20, 2023 0

प्रेमपथ परमुझे भी चलना हैचल कान्हा मुझे भीअब तेरे संग चलना है। रंग जाऊंतेरे रंग में सांवरियाऐसा प्रेम अबमुझे भी तुमसे करना है। मिट जाए अबमन की हर अभिलाषमुझे भी तेरे संगऐसा योगनाद करना है। […]

Sacred name of Bhagwan Rama

October 19, 2023 0

Aditya Tripathi (Assistant Teacher, PS, Pratappur, Kothawan) A long time ago in a peaceful village lived a devout sage named Jaidev Baba. He was known far and wide for his unwavering devotion to Lord Rama. […]

आज भी याद है वह तारीख

October 12, 2023 0

वादे किए थे हजारों ,एक पल में तोड़ गया।वह प्यार था हमाराजो हमें छोड़ गया।भूले नहीं जाते वह लम्हेजो उसके साथ बिताए थे ।याद आती है उसकी वह बातें कसमें खाकर जो उसने मुझे कही […]

रक्त रंजित यह धरा किसके कहे उसकी हुई?

October 11, 2023 0

रक्त रंजित यह धरा किसके कहे उसकी हुई? ख़ून की हर बूँद न इसकी हुई न उसकी हुई। मर गए जो, वो भी इंसान थे, मारने वाले जिन्हें ज़रा से, मुठ्टीभर शैतान थे। यह संघर्ष […]

I sing the songs of pain.

October 8, 2023 0

Poem—. I sing the songs of pain I tune my instrument with sorrow’s rain. The pain inflicted by our own. I bring pain in songs, well known. I sing the songs of pain. Composed by– […]

Poem : Essence of Love

October 5, 2023 0

In love’s embrace, we falter and sway, A puzzle of emotions, we struggle to convey. Love’s true essence, elusive and deep, A symphony of secrets, where our hearts keep. I cherish you more than words […]

Ode to Our Parents, Our Timeless Deities

October 4, 2023 0

Our parents, deities we cherish and adore, Their legacy unbroken, forevermore. With each passing day, our devotion grows deep, Their wisdom’s guidance, our hearts it keeps. Though humble their form, their vision so grand, They […]

वो लड़की हूँ

September 29, 2023 0

हाँ मैं एक लडक़ी हूँहाँ मैं वो ही लडक़ी हूँजो अपनी हो तोचार दीवारी में कैद रखतें हो।किसी ओर की हो तोचार दीवारी में भीनज़रे गड़ाए रखतें हों। हाँ मैं एक लडक़ी हूँहाँ मैं वो […]

An eternal Sacrificer Bhagat Singh

September 28, 2023 0

Raghavendra Kumar ‘Raghav’— Speaking the truth, courage immense, Fighting for justice, resilience. For two months, hunger and thirst withstood, Courage to give his life, grand, good. Apart from those who begged for rights, Isolated from […]

वन्दन का क्रन्दन!

September 26, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय•••••••••••••••••••••••••••••••••••••• वन्दन! विरूप सर्जन? तेरा बार-बार अभिनन्दन। वन्दन! काया-स्यन्दन१? तेरा बार-बार अभिनन्दन। वन्दन! नेत्रहीन-अंजन? तेरा बार-बार अभिनन्दन। वन्दन! उधार का मंजन? तेरा बार-बार अभिनन्दन। वन्दन! विद्रूप रंजन? तेरा बार-बार अभिनन्दन। वन्दन! […]

Rana Punja Bhil : The Hero of Haldighati

September 22, 2023 0

Raghavendra Kumar ‘Raghav’— Rana Punja Bhil, a name etched in the annals of history, was not just a warrior but a symbol of unwavering courage and determination. Hailing from the Bhil tribe of Mewar, he […]

खोटी नीयत

September 21, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• साहिब!देखते-ही-देखते,‘इण्डिया’ प्रौढ़ हो गया।उसकी जड़ें भी,कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैल चुकी हैं;सागर की गहराई-सा गाम्भीर्य है;उसके तने,आकाश की ऊँचाई-से शिखरस्थ हैं।आस-पास का माहौल :–बिगड़ा-बिगड़ा,उद्दण्ड-उद्धत, जंगली-सा दिखता है।ज़ह्रीले साँप भी फन […]

शब्द बना लो तीर

September 20, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–जीवन जड़वत् दिख रहा, बहे नेत्रजल धीर।जोड़ो मन को क्रान्ति से, शब्द बना लो तीर।।दो–बलखाती इठला रही, सरिता संंचय नीर।आँगन बैठी धूप है, आकुल हुआ शरीर।।तीन–मृग-मरीचिका चाह है, मन-गति दिखता […]

अमूक कविता

September 15, 2023 0

कविता……कितने क्यों मौन होक्या आती नही अभिव्यक्ति ?या फिर जाती नहीअब भी अहम भक्ति ? छोड़ दो न छंदों अलंकारों कोकम से कम करो नआत्म अभिव्यक्ति।या फिर जाती नहींअब भी शकी अभिव्यक्ति ? हिंदू हिंदुस्तान […]

भारतीय नवजागरण के अग्रदूत थे, भारतेन्दु हरिश्चन्द– विभूति मिश्र

September 10, 2023 0

भारतेन्दु हरिश्चन्द की जन्मतिथि (९ सितम्बर) के अवसर पर ‘सर्जनपीठ’ का सारस्वत आयोजन ९ सितम्बर को भारतवासियों की नवोदित आकांक्षा और राष्ट्रीयता के प्रतीक ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द की जन्मतिथि’ के अवसर पर ‘सर्जनपीठ’, प्रयागराज की ओर […]

बेचारा आवारा

September 8, 2023 0

थक कर बैठ गया हूँथोड़े विराम के लिएमगर सोच मत लेनाकि मैं जीवन से हार गया हूँ। बदलते रहते हैंजीवन के पड़ावमगर सोच मत लेनामैं दूसरों के सहारे हो गया हूँ। बदलते हुए जमाने के […]

रूप और कला का संघर्षण

September 5, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• रूप ने कला से कहा :–तेरा दृष्टि-अनुलेपन है अनुपम,तू रूप को सुरूप करती है।विरूप को कुरूप रचती हैतू सुरूप को विद्रूप बनाती है।तू रंग-रोगन करती हैऔर उकेरी गयी व्यथा-कथा को,एक […]

लक्ष्य को प्राप्त करने मैं चली

September 4, 2023 0

लक्ष्य को प्राप्त करने मैं चली सूरज को पकड़ने चलीहर मुश्किलों को पार करके ,आज उन्मुक्त गगन में उड़ने मैं चली | सबकी मुझसे अनंत इच्छाएंँ हैं ,एकाग्र चित्त होकर ,सबके सपनों को साकार करने […]

अंतिम राह

September 3, 2023 0

जीवन की अंतिम राह मेंन कोई अपना चलेगा न पराया। जीवन की अंतिम राह मेंन सिद्धियां काम आएगी न ऋद्धियां। जीवन की अंतिम राह मेंन कोई तंत्र चलेगा न मंत्र फिरेगा। जीवन की अंतिम राह […]

लफ्ज़ खामोश हो गए

September 3, 2023 0

हाशिया बनाकर खुद खैर बनकर पूछनाखुश्क सा होकर खस्ता करनादेह स्वतंत्र सी लगेऔर मन को कहीं कफस ने जकड़ा।लफ्ज़ खामोश हो गएमानो गहरी निद्रा में सो गएगुमनाम सा कुछ हो रहा थाबवंडरों में अब खो […]

अथाह अनुभूति

September 2, 2023 0

हजारों तंत्र हो मुझ मेंहजारों मंत्र हो मुझ मेंमैं फिर भी लीन रहू तुझ में।न ज्ञान का अहंकार हो मुझ मेंन आज्ञान का भंडार हो मुझ मेंमैं फिर भी लीन रहू तुझ में।योग का भंडार […]

मैं अकेला हूंँ

September 2, 2023 0

दिल मानने को तैयार नहीं , मैं अकेला हूंँ |चलते चले जाना है , किसी का अब इंतजार नहीं ,दिल को समझाऊंँ कैसे ?दिल मानने को तैयार नहीं , मैं अकेला हूंँ | जीना तो […]

मनमयूर

August 25, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• एक–ऐ मेरे गीत!तुझे जन्म तो दे देता हूँ;पर गा नहीं पाता।मेरा पौरुष,रोने के आवेदनपत्र पर–हस्ताक्षर नहीं करता। दो–कभी इधर देखूँ,कभी उधर।पसीने से हो जाता हूँ–तर-ब-तर। तीन–अनुभूति की गहराई मेडूब जाता […]

एक अभिव्यक्ति

August 25, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–कई अनकहे पल, फुसफुसाते हैं कानो मे;बिनब्याही बातों का, हिसाब हम नहीं करते।दो–तू उसे भूलने की बात, हर बार क्यों करता है;वह तो कभी याद आने की बात करता ही […]

वीतराग मन कह रहा, जीवन है निस्सार

August 25, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–गगरी अधजल दिख रही, छलक रहा है बोध।चिन्तन चला वितान ले, मानसपथ अवरोध।।दो–मरा-मरा ही तत्त्व है, तत्त्व राम से हीन।तत्त्वज्ञान राहित्य है, पापपंक मे लीन।।तीन–वीतराग मन कह रहा, जीवन है […]

सत्य समझ लो सार को, मिथ्या है संसार

August 23, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••एक–पाप पुण्य से कह रहा, मेरा देख प्रताप।लोक मुझे ही पालता, पर तू पाता ताप।।दो–जीवन-जंगल जल रहा, जलता नहीं प्रमाद।सत्य वचन है जान लो, यहाँ-वहाँ उन्माद।।तीन–एक घड़ी-आधी घड़ी, चिन्तन हो […]

युगबोध से शून्य है, मत कर तू! अभिमान

August 22, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••एक–मद मे अन्धा दिख रहा, बोली बोल कुबोल।काल विहँसता कह रहा, विष को मत तू घोल।।दो–युगबोध से शून्य है, मत कर तू! अभिमान।आयेगी कब गति-कुगति, नहीं किसी को भान।।तीन–दम्भ पालता […]

यह दीपक है, इसे जलाना चाहिए

August 22, 2023 0

देख बुराई अपने अंदरइसे मरना ही चाहिए,जीवन में फैला अंधेरामिटना ही चाहिए।यह दीपक है,इसे जलना ही चाहिए।लगी विचारों मे वर्षो की दीमकइसे हटना ही चाहिए,विरासत में पाया रूढ़िवादिता और अंधविश्वास।इसे जलना ही चाहिए।यह दीपक है,इसे […]

हिन्दी कविता : खुदगर्जी

August 18, 2023 0

गिर रही है नये जो आसमा से तड़पती बूंदेकभी तुम इनसेमज़ा लेते होतो कभी ये डूबकरतुम्हारे अस्तित्व का मज़ा लेती है। बह रही हैं न ये नदियाँकभी खुद बहती हैअपनी ही मस्ती मेंतो कभी तूफ़ान […]

मन का अन्धा सुन!

August 16, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ऐ कलियुगी धृतराष्ट्र!तुमने अपनी प्रजा को छला;मात्र सत्तासुख की ख़ातिरतुमने लक्ष्मणरेखा पार की।तुझे अपनो से मोह ने,‘अपनो’ से दूर कर दिया।जिन पर तुझे गुमान है,वे भी एक-एक करचीलर लगी बण्डी […]

मत भूल!

August 16, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ऐ नादिरशाह!तेरी ताक़त तू नहीं।तेरे चारों ओर मँडरातेवे गिद्ध हैं,जो तुझे अपने पंखों की आड़ दे,तुझे दसों दिशाओं सेतुझ पर रक्षाकवच छाये हुए हैं,तभी तू सीना तानकर,अपने सिद्ध वाचाल होने […]

झूठ के पाँव

August 16, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय तुमने जो बीज बोया है,उसका पौध तो नहीं देख पायेगा;पर लोग उस फल को चखते हीधिक्कारेंगे तुझे।तुमने दिये क्या :―झूठ, अविश्वास, वैमनस्य?तुमने हमारे राष्ट्र को छला है;एक बार नहीं, सौ […]

मेरी माटी, मेरा देश

August 16, 2023 0

मेरी माटी, मेरा देश ।सारे जग से न्यारा देश ।सब देशों में, डंका बजता ।प्रजातन्त्र है, प्यारा देश ।। पर्वतराज हिमालय प्रहरी ।गंगा, यमुना, सरयू गहरी ।झेलम, कृष्णा अरु कावेरी ।अमृत जल से सींचे खेत […]

मातृभूमि ‘भारत महान’

August 14, 2023 0

आरती जायसवालकथाकार, समीक्षक मातृभूमि ‘भारत महान’सदैव हमको अभिमान रहे!वीरों की,देवों की धरती ,होंठों पे सदा गुणगान रहे!सर्वधर्म समभाव रहें,एक दूजे का सम्मान रहे!स्वतंत्रता पर गर्व करें,वीरों का अमर बलिदान रहे!हर घर में तिरंगा लहराएं,‘हर दिल […]

कविता: मोल

August 13, 2023 0

किस्मत का नाम देना क्या सही है?मर्जियां सब अपनीऔर नाम किस्मत कावक्त तो देखते ही नहींकि ज़माना कहां हैकिताबें वो लेख कुछ अधूरे से हैंजहां समानता की बात है।खुद के फैंसलेखुद के सवालखुद ही गवाहऔर […]

वह प्यार था हमारा, जो हमें छोड़ गया

August 12, 2023 0

वादे किए थे हजारों,एक पल में तोड़ गया।वह प्यार था हमाराजो हमें छोड़ गया।भूले नहीं जाते वह लम्हेजो उसके साथ बिताए थे।याद आती है उसकी वह बातें कसमें खाकर जो उसने मुझे कही थी।जिसने पसंद […]

आम सी लड़की

August 12, 2023 0

सुन कर मोहब्बत केअधूरे किस्से सहम जाती हैआम सी लड़की। अजनबी लोगों को देखघबराकर छुप जाती हैआम सी लड़की। माँ के आंचल को,पापा के कंदे कोअपनी ढाल समझती हैंआम सी लड़की। इश्क़ तो दूरउसके नाम […]

पेड़ लगाओ, पेड़ लगाओ

August 12, 2023 0

पेड़ लगाओ, पेड़ लगाओ।इस जीवन को,नष्ट होने से बचाओ ।पेड़़ है हमारीसांसो का उपहारइन्हें बचाना हैहमारा आधार ।पेड़़- पेड़ से बना,हैं जंगलइस जंगल में होता है,जानवरों में दंगल ।पेड़ लगाओ पेड़़ लगाओ।इस जीवन कोनष्ट होने […]

मानवीय मूल्यों की तलाश

August 8, 2023 0

मानव व सभी जीवों के हित में सोचो !मानव सर्वोपरि है। नियमों का उल्लंघन करना,अपने नियम बनाकरदूसरों के ऊपर जबरदस्ती थोंपना,कहांँ का न्याय है ? ए ! चेतना ! की अदालत है ,न तो अंँधी […]

सत्ता की फ़सल

August 8, 2023 0

आरती जायसवाल (कथाकार, समीक्षक) सांप्रदायिकता की आग तेज हुईफिर लपटें उठीं,धू -धू कर जली मानवता,फिर हो गया सामान्य जन-जीवन अस्त -व्यस्त और त्रासदी पूर्णकुछ स्थानों परचीत्कार कर उठा ‘अधर्म’चिंघाड़ता हुआ लेने को ‘नरबलि’मृत देहों के […]

बीते हुए वक्त कभी लौट आना

August 5, 2023 0

बीते हुए वक्त कभी लौट आनामुझे फिर सेहंसना खिलखिलाना है। बीते हुए वक्त कभी लौट आनामुझे फिर सेमस्ती भरे लम्हों को जीना है। बीते हुए वक्त कभी लौट आनामुझे फिरथक हारकर मां की गोद में […]

दर्पण

August 3, 2023 0

मीलों दूर सफ़र करनाजहां खुद के अलावा कोई नहीं मिलनाराहों में कांटों की चुभन सेलोगों को हम भी कांटे नज़र आएंगेकभी पूछा चाह क्या है ?खुद का बोलदर्द को बे-दर्द बताएंगेछोड़ी कोई गली या किनाराजहां […]

रंगीनिए हयात की पहचान है कोठा

July 31, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बज़्मे नशात१ की यह शान है कोठा,दौलत औ’ हुस्न का ईमान है कोठा।यों ही नहीं बनती रक़्क़ास२ जान लीजिए,लाचारी औ’ मज़्बूरी का नाम है कोठा।तवाइफ़ का जिस्म है रंगीनिये-शबाब,रंगीनिए हयात३ […]

मौसम ने प्रकृति पर प्यार बरसाया, सावन आया

July 29, 2023 0

है सावन आया, नई उमंगे लायाभूल कर सारे गिले सिकवेमौसम ने प्रकृति पर प्यार बरसाया हैमुरझा गए थे कभी चेहरेउलझ गए थे कभी वास्तेखिला कर चेहरे, सुलझा कर वास्तेसावन कुछ ऐसा झूम कर आया है,मौसम […]

ख़्वाहिश

July 29, 2023 0

मैं करूं ख़्वाहिश आज कीमिल जाए मुहब्बत ,मुझे आपकी। मैं करूं ख़्वाहिश आराम कीमिल जाए जिंदगी,मुझे किसी काम की। मैं करूं ख़्वाहिश राम कीमिल जाए मुहब्बत,मुझे राधे-श्याम की। मैं करूं ख़्वाहिश रात कीमिल जाए तन्हाई,मुझे […]

Kranti-Guru Chandrashekhar Azad

July 23, 2023 0

Raghavendra Kumar Tripathi ‘Raghav’– In the land of India, a soul did rise, A young rebel with fire in his eyes. Chandrashekhar Azad was his name, But ‘Azad’ his spirit, forever aflame. Against the British, […]

भाव अनाथ हुए, पीड़ा है असहाय

July 22, 2023 0

◆ आत्मानुरोध― इस सर्जन मे कहीं भी किसी प्रकार की अशुद्धि-अनुपयुक्ति लक्षित हो तो सकारण संशोधित करें। ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• एक–डाली कहती डाल से, कस लो मुझको आज।पेड़ सिसकता सोचता, गिरे न उनपर […]

भीतर

July 21, 2023 0

मुझे कविता मेंनया दौर सीखना है।मुझे मोहब्बत मेंअभी ओर सीखना है।चिलमलाहट सी होती हैभीतर ही भीतरनए शब्दों को सीख करमुझे नए भावों का आयामअभी ओर सीखना है।दबी हुई बातें हैं कुछ भीतरजो दबा देती हैसदैव […]

इंसान और मोबाइल

July 21, 2023 0

आज ज़माना भी गज़ब ढा रहा हैमोबाइल तक ख़ुद को सीमित कर रहा हैघर में चार लोग, बैठे चार किनारेएक दूसरे को देखे भी ना..और चैट पर पूछ रहे इक दूजे का हाल,वक्त नहीं है […]

टूटी हूँ मगर बिखरी नहीं

July 18, 2023 0

कहते हैं जोतुम न कर पाओगेवही तो अबकरने की ठानी है।गिरी हूंमगर हारी नहीं,टूटी हूंमगर बिखरी नहीं,थकी हूंमगर हिम्मत हारी नहीं,राह में मुश्किलेंहजारों हैंमगर जो कि नहींथकी हूंमगर जीवन से हारी नहीं। तृषा चौधरीकांगड़ा, हिमाचल […]

टूट रहे तटबन्ध हैं, जल का हाहाकार!

July 18, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–टूट रहे तटबन्ध हैं, जल का हाहाकार।प्रलय आँख मे नाचता, लिये मृत्यु आकार।।दो–चाहत पूरी कर रहा, ले निर्मम-सा रूप।जनता मरती देश मे, कितना निर्मम भूप।।तीन–हा धिक्-हा धिक्! कर रहा, क्रन्दन […]

मर्म बिलखता है यहाँ, तन सहलाये घाव

July 16, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–लाश तैरती हर तरफ़, शोक कर रहा ‘शोक’।जीवन बहता जा रहा, कोई रोक-न-टोक।।दो–परे शोक-संवेदना, मृत्यु करे आखेट।शासन निर्दय दिख रहा, आते लोग चपेट।।तीन–नेता कैसे देश मे, करते केवल भोग।मतलब केवल […]

आतिश

July 15, 2023 0

जरूरी था रास्ते बदलनामगर चाहता कौन थागुजारिश थी समय कीजो कहीं लूट गईबार हृदय पर करख्वाब को कांच का बना करचकनाचूर कर गई।लाचार सा मानो वक्त हो गयामुंह को सिले कहीं सो गयादर्द था नदिया […]

गुनाह

July 15, 2023 0

कभी हमने भीमोहब्बत का गुनाह किया था।तुमसे मिलकर हमनेखुद को खुद सेजुदा किया था।हर पल देखते थे तुमकोसोचते थे तुमकोइश्क में तुम्हारे हमनेअपने मस्तिष्क को भीफ़िदा किया था।कभी हमें भीकिसी की दिलकशअदाओं ने घायल किया […]

गोरक्षक भूमिगत हुए, संकट मे गोवंश!

July 15, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–जीवन जलमय हो रहा, शासन है बेहोश।गरदन दाबे मौत है, जन-जन मे है रोष।।दो–सेना पथ पर दिख रही, नेता सब हैं मौन।फफक रहे हैं लोग सब, आँसू पोंछे कौन?तीन–गोरक्षक भूमिगत […]

शुष्क पड़ी संवेदना, बेहया है सरकार!

July 14, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–त्राहि-त्राहि जन कर रहे, मुखिया उड़ा विदेश।संकट मे जन-धन यहाँ, मुखिया बदला वेश।।दो–जल बढ़ता हर पल यहाँ, कोई नहीं हवाल।आशा पल-पल पल रही, कोई नहीं वबाल१।।तीन–इंच-इंच पानी बढ़े, आँखभरा है […]

बचपन-आँसू सूखते, बिलख रहा है छोह!

July 14, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–हर-हर, हर-हर हो रहा, ठहर गया है देश।जलधारा उछाल लिये, प्रश्न कर रही पेश।।दो–ताला जड़ा ज़बान पे, निर्दयता हर ओर।जनता करती त्राहि है, भय का ओर न छोर।।तीन–क्रन्दन-सिसकी हर तरफ़़, […]

सत्य की ताकत

July 13, 2023 0

हृदय को देती शक्ति, भक्ति और विश्वास,मन को देती स्थिरता, निडरता और उल्लास,भटकन दूर करे दिल की, दिलाए असीम का एहसास।देह को बनाए चुस्त, दुरुस्त और तंदुरुस्त,मन को बनाए शांत, सौम्य और संयमी,चलना जिस पर […]

मेरे मां-बाप

July 12, 2023 0

मैंने हार मान ली, पर मेरे मां-बाप ने नहीं मानी लोग जो मर्जी कहें पर, मेरे मां-बाप मेरी हर मुश्किल में साथ हैं। पापा ने चलना सिखाया, मां ने हंसना सिखाया, मेरे मां-बाप ने मुझे […]

जिंदगी

July 12, 2023 0

जिंदगी में भरोसा करना हैतो अपने पर करनान कि अपनो पर।दुनिया है ये मतलब कीन की अपनेपन की।जो करते है अपनेपन का दावावो ही करते है दिखावा।इसलिए जिंदगी मेंभरोसा करना है तोअपने पर न की […]

रंग दिखाती है कुर्सी

July 8, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय मस्त तराने गा-गा झूमे, कहनी कहती कुर्सी है, नाच-नचाती दुनिया को है, धुन मे रहती कुर्सी है। भाव उसका हरदम ऊपर, क्रय-विक्रय का खेल यहाँ, जेब दिखा हो जिसका भारी, […]

कविता– क्या ?

July 7, 2023 0

पूरे है वो लोग क्या ?जो अधूरी सी बातें करते हैंसमझदार है वो लोग क्या ?जो समझदार होने केबावजूद भी नासमझी सी करते हैं।शिक्षित है वो लोग क्या?जो अशिक्षितओं की तरहव्यवहार करते हैं।कामयाब है वो […]

सरकारी चरणामृत चाटता बुद्धिजीवी!

July 3, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बेशक,तुम्हारे चिन्तन चुराये हुए हैं।तुम्हारे विचार दिल्ली के आज़ाद मार्केट सेकिलो के भाव लाये हुए कपड़ों-जैसे हैं।किसी कोठे के किराये की कोख से जन्मेवा फिर परखनली में उपजे,तुम्हारे वे शब्द […]

जन्म-जयन्ती व्यर्थ है, उत्सव भी निस्सार

July 1, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–जीवन-मरण समान है, दोनो की गति एक।क्षमता जितनी हो सके, कर्म करो सब नेक।।दो–जन्म लिये किस-हेतु हो, ध्येय नहीं है भान?जीवन अति अनमोल है, करना इसका मान।।तीन–आह-जुड़ी संवेदना, कातर दृष्टि-प्रधान।जन्म-मृत्यु […]

पिया-गाँव से प्रकृति चली

June 30, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• एक–मेघदूत की नायिका, चितवन चारों ओर।उमड़-घुमड़ संदेश कह, गरज पड़े घनघोर।।दो–करवट बादल ले रहे, बिजली तड़के घोर।कनखी बरखा मारती, वन-वन नाचे मोर।।तीन–दादुर तत्पर मे दिखें, अवसर करते बात।ताल-तलैया जब भरें, […]

शाबाशी बनाम विश्वासघात!

June 29, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय कल मुझसे,मेरी पीठ मिली थी।खोयी-खोयी-सी;रोयी-रोयी-सी;बेचैन निगाहों से,सन्नाटे को बुनती हुई।पूछना धर्म था; पूछ ही डाला :–कहो! कैसी हो?उसका दृष्टि-अनुलेपनमेरे वुजूद को घायल करता रहा।वह ताड़ती रह गयी,मेरे दु:ख-सुख की प्रतीति […]

भ्रष्टतन्त्र का मूक गवाह

June 21, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय••••••••••••••••••••••••••••••••••••• मै भारत का लोकतन्त्र हूँ,जिह्वा बनकर रह गया हूँ।मुझे,उबड़-खाबड़, बदबूदार दाँतों नेअपने पहरे मे बैठा रखा है।बायें सरकता हूँ तो संकट;दायें मचलता हूँ तो ख़तरा;ऊपर लपकता हूँ तो आफ़त;नीचे लर्ज़ता […]

चुप! उन्हें सोने दो

June 18, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय अब मरघट से धुँआ नहीं निकलताचिट्-चिट् कर चिनगारी फेंकती आवाज़अब बेज़बाँ हो चुकी है।धरती अपने सीने मेराज़ दफ़्न करते-करते अशक्त हो चली है।उसे मालूम है,निस्सहाय हताहतों की संख्या।अपने और नितान्त […]

पिता भगवान होता है

June 18, 2023 0

नहीं ये जानता कोई  कैसा भगवान होता है? मगर सच है यही तो बस पिता भगवान होता है।  हाल बेहाल होता है बेटे की ढाल होता है। औलाद के खातिर पिता पूरा संसार होता है। […]

सवेरा

June 9, 2023 0

हुआ सवेरा एक हैमिटा अंधेरा अनेक है,जीवन की लालिमा छाईबुराई की कालिमा भगाई,नन्हें मुन्ने फूलों नेसुबह ही रौनक लगाई,पंछियों के चहचहाहट नेहर बुरी नजर भगाई,नील गगन में उड़तीरंग बिरंगी चिड़ियों नेसबके चेहरे परसुबह ही मुस्कुराहट […]

कविता– अतिरिक्त

June 2, 2023 0

तुम चेहरे कीमुस्कुराहट पर मत जाओबहुत गम होते हैंसीने में दफन।तुम झूठीवफाओं में मत आओबहुत ख़्वाब होते हैंआधे अधूरे से।तुम इन सिमटी हुईनिगाहों पर मत जाओबहुत कुछ बिखरा हुआ होता हैछुपी हुई निगाहें में।तुम टूटे […]

घर है तुम्हारा

May 30, 2023 0

संँभाल लो ! घर संँवार लो !घर है तुम्हारा | बड़े नाजुक होते हैं दिल के रिश्ते,तुम इन्हें निभा लो!धीरे – धीरे बंद मुट्ठी में रेत की तरह फिसल जाएगा,मन में प्रायश्चित के सिवा कुछ […]

Poem: Journalism and challenges

May 30, 2023 0

In the news kingdom, where stories unfold.There is always truth buried and untold.A demanding work that means no rest.A relentless journey and a tireless quest. From dawn till dusk, it stretches wide.Like others nine-to-five it […]

माँ काली

May 27, 2023 0

कभी हंसा देती हैकभी रुला देती हैमाँ है मेरी कालीजो खुद से हीमोहब्बत करवा देती है। कभी जीवन जीना सिखा देती हैकभी मेरे गुनाहों को दफना देती हैमाँ है मेरी कालीजो काबिल-ऐ-तारीफशख्स मुझे बना देती […]

अमराई

May 22, 2023 0

चलो रे! ले चल भाई,मास जेठ की तपिश झुलसाई,बागों में ले चल चारपाई,बैठ गीत गुनगाई, बहे न पुरवाई,ललचे जिया मोरा देख अमराई,चलो री चल सखी, चलो रे माई। आज गुल्ली-डंडा खेल खूब होई रे, सिलो-पाती […]

फ़िल्म “द केरला स्टोरी” का मोरल मैसेज युवा होते बच्चों के लिए बहुत मायने रखता है

May 15, 2023 0

फ़िल्म “द केरला स्टोरी” का मोरल मैसेज युवा होते बच्चों के लिए बहुत मायने रखता है। सच कहूं तो इस फ़िल्म को स्कूल कॉलेज के लिए स्पेशल दिखाए जाने की ज़रूरत है। साथ ही सकारात्मक […]

विष बोते हैं देश मे, बोल घृणा के बोल

May 11, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–यहाँ दिख रहे साधु-सा, वहाँ दिखें शैतान।देखो! नज़र बदल रहे, रह-रहकर हैवान।।दो–सब अपने को ही मिले, अजब-ग़ज़ब यह चाह।देखो! लोग बिलख रहे, अन्धी दिखती राह।।तीन–विष बोते हैं देश मे, बोल […]

जीवंत पथ

May 5, 2023 0

आते रहेंगेजाते रहेंगेजीवन का गीतगाते रहेंगे।जीतेंगे कभीहारेंगे कभीमगर जीवन के पथपर चलते रहेंगे।आशा भी आएगीनिराशा भी आएगीमगर जीवन के पथपर जीवंत रहेंगे।अच्छे भी मिलेगेबुरे भी मिलेगेमगर फिर भी सबका सहयोगकरते-करते चलेंगे। राजीव डोगरा (भाषा अध्यापक)राजकीय […]

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