सत्ता की फ़सल

August 8, 2023 0

आरती जायसवाल (कथाकार, समीक्षक) सांप्रदायिकता की आग तेज हुईफिर लपटें उठीं,धू -धू कर जली मानवता,फिर हो गया सामान्य जन-जीवन अस्त -व्यस्त और त्रासदी पूर्णकुछ स्थानों परचीत्कार कर उठा ‘अधर्म’चिंघाड़ता हुआ लेने को ‘नरबलि’मृत देहों के […]

बीते हुए वक्त कभी लौट आना

August 5, 2023 0

बीते हुए वक्त कभी लौट आनामुझे फिर सेहंसना खिलखिलाना है। बीते हुए वक्त कभी लौट आनामुझे फिर सेमस्ती भरे लम्हों को जीना है। बीते हुए वक्त कभी लौट आनामुझे फिरथक हारकर मां की गोद में […]

दर्पण

August 3, 2023 0

मीलों दूर सफ़र करनाजहां खुद के अलावा कोई नहीं मिलनाराहों में कांटों की चुभन सेलोगों को हम भी कांटे नज़र आएंगेकभी पूछा चाह क्या है ?खुद का बोलदर्द को बे-दर्द बताएंगेछोड़ी कोई गली या किनाराजहां […]

रंगीनिए हयात की पहचान है कोठा

July 31, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बज़्मे नशात१ की यह शान है कोठा,दौलत औ’ हुस्न का ईमान है कोठा।यों ही नहीं बनती रक़्क़ास२ जान लीजिए,लाचारी औ’ मज़्बूरी का नाम है कोठा।तवाइफ़ का जिस्म है रंगीनिये-शबाब,रंगीनिए हयात३ […]

मौसम ने प्रकृति पर प्यार बरसाया, सावन आया

July 29, 2023 0

है सावन आया, नई उमंगे लायाभूल कर सारे गिले सिकवेमौसम ने प्रकृति पर प्यार बरसाया हैमुरझा गए थे कभी चेहरेउलझ गए थे कभी वास्तेखिला कर चेहरे, सुलझा कर वास्तेसावन कुछ ऐसा झूम कर आया है,मौसम […]

ख़्वाहिश

July 29, 2023 0

मैं करूं ख़्वाहिश आज कीमिल जाए मुहब्बत ,मुझे आपकी। मैं करूं ख़्वाहिश आराम कीमिल जाए जिंदगी,मुझे किसी काम की। मैं करूं ख़्वाहिश राम कीमिल जाए मुहब्बत,मुझे राधे-श्याम की। मैं करूं ख़्वाहिश रात कीमिल जाए तन्हाई,मुझे […]

Kranti-Guru Chandrashekhar Azad

July 23, 2023 0

Raghavendra Kumar Tripathi ‘Raghav’– In the land of India, a soul did rise, A young rebel with fire in his eyes. Chandrashekhar Azad was his name, But ‘Azad’ his spirit, forever aflame. Against the British, […]

भाव अनाथ हुए, पीड़ा है असहाय

July 22, 2023 0

◆ आत्मानुरोध― इस सर्जन मे कहीं भी किसी प्रकार की अशुद्धि-अनुपयुक्ति लक्षित हो तो सकारण संशोधित करें। ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• एक–डाली कहती डाल से, कस लो मुझको आज।पेड़ सिसकता सोचता, गिरे न उनपर […]

भीतर

July 21, 2023 0

मुझे कविता मेंनया दौर सीखना है।मुझे मोहब्बत मेंअभी ओर सीखना है।चिलमलाहट सी होती हैभीतर ही भीतरनए शब्दों को सीख करमुझे नए भावों का आयामअभी ओर सीखना है।दबी हुई बातें हैं कुछ भीतरजो दबा देती हैसदैव […]

इंसान और मोबाइल

July 21, 2023 0

आज ज़माना भी गज़ब ढा रहा हैमोबाइल तक ख़ुद को सीमित कर रहा हैघर में चार लोग, बैठे चार किनारेएक दूसरे को देखे भी ना..और चैट पर पूछ रहे इक दूजे का हाल,वक्त नहीं है […]

टूटी हूँ मगर बिखरी नहीं

July 18, 2023 0

कहते हैं जोतुम न कर पाओगेवही तो अबकरने की ठानी है।गिरी हूंमगर हारी नहीं,टूटी हूंमगर बिखरी नहीं,थकी हूंमगर हिम्मत हारी नहीं,राह में मुश्किलेंहजारों हैंमगर जो कि नहींथकी हूंमगर जीवन से हारी नहीं। तृषा चौधरीकांगड़ा, हिमाचल […]

टूट रहे तटबन्ध हैं, जल का हाहाकार!

July 18, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–टूट रहे तटबन्ध हैं, जल का हाहाकार।प्रलय आँख मे नाचता, लिये मृत्यु आकार।।दो–चाहत पूरी कर रहा, ले निर्मम-सा रूप।जनता मरती देश मे, कितना निर्मम भूप।।तीन–हा धिक्-हा धिक्! कर रहा, क्रन्दन […]

मर्म बिलखता है यहाँ, तन सहलाये घाव

July 16, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–लाश तैरती हर तरफ़, शोक कर रहा ‘शोक’।जीवन बहता जा रहा, कोई रोक-न-टोक।।दो–परे शोक-संवेदना, मृत्यु करे आखेट।शासन निर्दय दिख रहा, आते लोग चपेट।।तीन–नेता कैसे देश मे, करते केवल भोग।मतलब केवल […]

आतिश

July 15, 2023 0

जरूरी था रास्ते बदलनामगर चाहता कौन थागुजारिश थी समय कीजो कहीं लूट गईबार हृदय पर करख्वाब को कांच का बना करचकनाचूर कर गई।लाचार सा मानो वक्त हो गयामुंह को सिले कहीं सो गयादर्द था नदिया […]

गुनाह

July 15, 2023 0

कभी हमने भीमोहब्बत का गुनाह किया था।तुमसे मिलकर हमनेखुद को खुद सेजुदा किया था।हर पल देखते थे तुमकोसोचते थे तुमकोइश्क में तुम्हारे हमनेअपने मस्तिष्क को भीफ़िदा किया था।कभी हमें भीकिसी की दिलकशअदाओं ने घायल किया […]

गोरक्षक भूमिगत हुए, संकट मे गोवंश!

July 15, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–जीवन जलमय हो रहा, शासन है बेहोश।गरदन दाबे मौत है, जन-जन मे है रोष।।दो–सेना पथ पर दिख रही, नेता सब हैं मौन।फफक रहे हैं लोग सब, आँसू पोंछे कौन?तीन–गोरक्षक भूमिगत […]

शुष्क पड़ी संवेदना, बेहया है सरकार!

July 14, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–त्राहि-त्राहि जन कर रहे, मुखिया उड़ा विदेश।संकट मे जन-धन यहाँ, मुखिया बदला वेश।।दो–जल बढ़ता हर पल यहाँ, कोई नहीं हवाल।आशा पल-पल पल रही, कोई नहीं वबाल१।।तीन–इंच-इंच पानी बढ़े, आँखभरा है […]

बचपन-आँसू सूखते, बिलख रहा है छोह!

July 14, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–हर-हर, हर-हर हो रहा, ठहर गया है देश।जलधारा उछाल लिये, प्रश्न कर रही पेश।।दो–ताला जड़ा ज़बान पे, निर्दयता हर ओर।जनता करती त्राहि है, भय का ओर न छोर।।तीन–क्रन्दन-सिसकी हर तरफ़़, […]

सत्य की ताकत

July 13, 2023 0

हृदय को देती शक्ति, भक्ति और विश्वास,मन को देती स्थिरता, निडरता और उल्लास,भटकन दूर करे दिल की, दिलाए असीम का एहसास।देह को बनाए चुस्त, दुरुस्त और तंदुरुस्त,मन को बनाए शांत, सौम्य और संयमी,चलना जिस पर […]

मेरे मां-बाप

July 12, 2023 0

मैंने हार मान ली, पर मेरे मां-बाप ने नहीं मानी लोग जो मर्जी कहें पर, मेरे मां-बाप मेरी हर मुश्किल में साथ हैं। पापा ने चलना सिखाया, मां ने हंसना सिखाया, मेरे मां-बाप ने मुझे […]

जिंदगी

July 12, 2023 0

जिंदगी में भरोसा करना हैतो अपने पर करनान कि अपनो पर।दुनिया है ये मतलब कीन की अपनेपन की।जो करते है अपनेपन का दावावो ही करते है दिखावा।इसलिए जिंदगी मेंभरोसा करना है तोअपने पर न की […]

रंग दिखाती है कुर्सी

July 8, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय मस्त तराने गा-गा झूमे, कहनी कहती कुर्सी है, नाच-नचाती दुनिया को है, धुन मे रहती कुर्सी है। भाव उसका हरदम ऊपर, क्रय-विक्रय का खेल यहाँ, जेब दिखा हो जिसका भारी, […]

कविता– क्या ?

July 7, 2023 0

पूरे है वो लोग क्या ?जो अधूरी सी बातें करते हैंसमझदार है वो लोग क्या ?जो समझदार होने केबावजूद भी नासमझी सी करते हैं।शिक्षित है वो लोग क्या?जो अशिक्षितओं की तरहव्यवहार करते हैं।कामयाब है वो […]

जन्म-जयन्ती व्यर्थ है, उत्सव भी निस्सार

July 1, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–जीवन-मरण समान है, दोनो की गति एक।क्षमता जितनी हो सके, कर्म करो सब नेक।।दो–जन्म लिये किस-हेतु हो, ध्येय नहीं है भान?जीवन अति अनमोल है, करना इसका मान।।तीन–आह-जुड़ी संवेदना, कातर दृष्टि-प्रधान।जन्म-मृत्यु […]

पिया-गाँव से प्रकृति चली

June 30, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• एक–मेघदूत की नायिका, चितवन चारों ओर।उमड़-घुमड़ संदेश कह, गरज पड़े घनघोर।।दो–करवट बादल ले रहे, बिजली तड़के घोर।कनखी बरखा मारती, वन-वन नाचे मोर।।तीन–दादुर तत्पर मे दिखें, अवसर करते बात।ताल-तलैया जब भरें, […]

शाबाशी बनाम विश्वासघात!

June 29, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय कल मुझसे,मेरी पीठ मिली थी।खोयी-खोयी-सी;रोयी-रोयी-सी;बेचैन निगाहों से,सन्नाटे को बुनती हुई।पूछना धर्म था; पूछ ही डाला :–कहो! कैसी हो?उसका दृष्टि-अनुलेपनमेरे वुजूद को घायल करता रहा।वह ताड़ती रह गयी,मेरे दु:ख-सुख की प्रतीति […]

भ्रष्टतन्त्र का मूक गवाह

June 21, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय••••••••••••••••••••••••••••••••••••• मै भारत का लोकतन्त्र हूँ,जिह्वा बनकर रह गया हूँ।मुझे,उबड़-खाबड़, बदबूदार दाँतों नेअपने पहरे मे बैठा रखा है।बायें सरकता हूँ तो संकट;दायें मचलता हूँ तो ख़तरा;ऊपर लपकता हूँ तो आफ़त;नीचे लर्ज़ता […]

चुप! उन्हें सोने दो

June 18, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय अब मरघट से धुँआ नहीं निकलताचिट्-चिट् कर चिनगारी फेंकती आवाज़अब बेज़बाँ हो चुकी है।धरती अपने सीने मेराज़ दफ़्न करते-करते अशक्त हो चली है।उसे मालूम है,निस्सहाय हताहतों की संख्या।अपने और नितान्त […]

पिता भगवान होता है

June 18, 2023 0

नहीं ये जानता कोई  कैसा भगवान होता है? मगर सच है यही तो बस पिता भगवान होता है।  हाल बेहाल होता है बेटे की ढाल होता है। औलाद के खातिर पिता पूरा संसार होता है। […]

सवेरा

June 9, 2023 0

हुआ सवेरा एक हैमिटा अंधेरा अनेक है,जीवन की लालिमा छाईबुराई की कालिमा भगाई,नन्हें मुन्ने फूलों नेसुबह ही रौनक लगाई,पंछियों के चहचहाहट नेहर बुरी नजर भगाई,नील गगन में उड़तीरंग बिरंगी चिड़ियों नेसबके चेहरे परसुबह ही मुस्कुराहट […]

कविता– अतिरिक्त

June 2, 2023 0

तुम चेहरे कीमुस्कुराहट पर मत जाओबहुत गम होते हैंसीने में दफन।तुम झूठीवफाओं में मत आओबहुत ख़्वाब होते हैंआधे अधूरे से।तुम इन सिमटी हुईनिगाहों पर मत जाओबहुत कुछ बिखरा हुआ होता हैछुपी हुई निगाहें में।तुम टूटे […]

घर है तुम्हारा

May 30, 2023 0

संँभाल लो ! घर संँवार लो !घर है तुम्हारा | बड़े नाजुक होते हैं दिल के रिश्ते,तुम इन्हें निभा लो!धीरे – धीरे बंद मुट्ठी में रेत की तरह फिसल जाएगा,मन में प्रायश्चित के सिवा कुछ […]

माँ काली

May 27, 2023 0

कभी हंसा देती हैकभी रुला देती हैमाँ है मेरी कालीजो खुद से हीमोहब्बत करवा देती है। कभी जीवन जीना सिखा देती हैकभी मेरे गुनाहों को दफना देती हैमाँ है मेरी कालीजो काबिल-ऐ-तारीफशख्स मुझे बना देती […]

अमराई

May 22, 2023 0

चलो रे! ले चल भाई,मास जेठ की तपिश झुलसाई,बागों में ले चल चारपाई,बैठ गीत गुनगाई, बहे न पुरवाई,ललचे जिया मोरा देख अमराई,चलो री चल सखी, चलो रे माई। आज गुल्ली-डंडा खेल खूब होई रे, सिलो-पाती […]

विष बोते हैं देश मे, बोल घृणा के बोल

May 11, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–यहाँ दिख रहे साधु-सा, वहाँ दिखें शैतान।देखो! नज़र बदल रहे, रह-रहकर हैवान।।दो–सब अपने को ही मिले, अजब-ग़ज़ब यह चाह।देखो! लोग बिलख रहे, अन्धी दिखती राह।।तीन–विष बोते हैं देश मे, बोल […]

जीवंत पथ

May 5, 2023 0

आते रहेंगेजाते रहेंगेजीवन का गीतगाते रहेंगे।जीतेंगे कभीहारेंगे कभीमगर जीवन के पथपर चलते रहेंगे।आशा भी आएगीनिराशा भी आएगीमगर जीवन के पथपर जीवंत रहेंगे।अच्छे भी मिलेगेबुरे भी मिलेगेमगर फिर भी सबका सहयोगकरते-करते चलेंगे। राजीव डोगरा (भाषा अध्यापक)राजकीय […]

चुनावी राग-रंग

May 4, 2023 0

चुनावी राग-रंग― एक शातिर देखो हर जगह, रहे लगाते दावँ ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–सारे बिल हैं खुल गये, उछल-कूद है रोज़।ज़ोर मारते हर जगह, घर-घर करते खोज।।दो―कल तक अता-पता नहीं, अब हैं चारों […]

राजनीति है ताइफ़:, कमर हिलाते लोग

April 21, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–कैसे तुम श्री राम हो, उन्मादी के संग!..?भक्ति-भाव से दूर सब, गिरगिट-सा है रंग?दो–राम रमापति भूलकर, रक्त से रँगते भव।उन्मादी ललकारते, बने लावारिश शव।।तीन–मन्दिर-मस्जिद कुछ नहीं, साथ रहेगा कर्म।भले रगड़ […]

विविचार विविर के विरुद्ध

April 19, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बूढ़ी जड़―जोड़ती आ रही है,एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को।यत्न करो,तुम्हारी जड़ का क्रमग्रन्थिल न हो।अनुभव का विस्तारमात्र प्रसार न बना रहे।उसका गाम्भीर्य ओढ़ो;परन्तु मन-भाव मेसंकुचन की पैठ न रहे।ढूँढ़ने […]

मतलबी

April 7, 2023 0

मैंने जहां देखा,मैंने तहा देखा।लोग मुझसे जुड़ेबस मतलब के लिए,न मेरे विचारों के लिएन मेरे लिए।जो भी मुझसे मुस्कायाकिसी न किसी,मतलब के लिएफरेब के लिए।न की अपनेपन के लिएहसीन आंखों ने मुझे भी तकापर न […]

अथाह अनुभूति

April 7, 2023 0

हजारों तंत्र हो मुझ मेंहजारों मंत्र हो मुझ मेंमैं फिर भी लीन रहू तुझ में।न ज्ञान का अहंकार हो मुझ मेंन आज्ञान का भंडार हो मुझ मेंमैं फिर भी लीन रहू तुझ में।योग का भंडार […]

दृढ़ता से बढ़ते चलो, पुरुष-अर्थ के साथ

March 24, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक―दिखें दोगले हर जगह, हरदम करते घात।दूरी कर लो दूर से, बने न कोई बात।।दो―दृढ़ता से बढ़ते चलो, पुरुष-अर्थ के साथ।ख़ुद मे तुम भरपूर हो, नहीं बढ़ाओ हाथ।।तीन―हर जगह चेहरे […]

कविता– रहने दो

March 24, 2023 0

कुछ ख्वाहिशें अधूरी हैतो रहने दो।मोहब्बत की तरफ पाव नहीं जातेतो रहने दो।अपनापन दिखा कर भीकोई अपना नहीं बनतातो रहने दो।मंदिरों मस्जिदों में घूम कर भीहृदय नेक पाक नहीं होतातो रहने दो।दिलों जान से मोहब्बत […]

आज का हाल

March 23, 2023 0

दिल में प्यार है,आंखों में नमी है,मन में उदासी,यही आज का हाल है।चेहरे पर मुस्कान है,दिल में दर्द है,दिमाग में सोच है,यही आज का हाल है।कहीं खामोशी है ,कहीं खुशहाली है ,कहीं निराशा है ,यही […]

विश्व जल दिवस पर अवधेश शुक्ल के दोहे

March 22, 2023 0

पानी मीठा चाहिए, जीव-जगत सब कोय ।अति आनन्द प्रीति तिया, काया जबहिं भिगोय ।। पानी पी-पी जग जिये, जुग-जुग अकट प्रमान ।पानी मत बिथराइयो, रखियो याको मान ।। पानी बहता निर्झरा, ऋतम्भरा हरसाय ।सीतल पानी […]

प्यार भरी लोरी

March 17, 2023 0

माँ! ममतामयी आंचल मेंफिर से मुझे छुपा लोबहुत डर लगता है मुझेदुनिया के घने अंधकार में।माँ! फिर से अपने प्यार भरेअहसासों के दीपमुझ में आकर जला दो।माँ! खो न जाऊं कहींदुनिया की इस भीड़ मेंमाँ! […]

पकड़ गिराओ धर्मान्धों को!

March 17, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय केवल धन्धा-केवल चन्दा,भक्ति-भाव है मन्दा।भक्त और भगवान् है कैसा,खेल खेलते गन्दा।सनातनी का खेल निराला,गले पड़ा ज्यों फन्दा।पकड़ गिराओ धर्मान्धों को!रगड़ो जैसा रन्दा।एक कबीर की और ज़रूरत,लाओ कहीं से बन्दा।(सर्वाधिकार सुरक्षित― […]

मैं चेतना हूंँ

March 15, 2023 0

मैं सोचती हूंँ ,जन्मतिथि पर तुम्हें क्या उपहार दूंँ ,तुम स्वयं में चेतना हो। जीवन जीने की कला है तुममें,तुम्हें क्या सीख दूँ ,तुम स्वयं में प्रज्ञा हो। नित नवीन सद्विचार लाती हो ,तुम्हें क्या […]

जीवन मेरा वसन्त

March 10, 2023 0

जीवन मेरा वसन्तमस्त रहती हूंँ अपनी दुनिया में,हंसती हूंँ हसाती हूंँ औरों को गले लगाती हूंँजीवन मेरा वसन्त। कोयल की कूक, पपीहे की पीहू ,गीत गाती गुनगुनाती हूँ,जीवन मेरा वसन्त। भेदभाव दूर करती हूंँ,प्रेम की […]

कविता– वजह

March 10, 2023 0

मेरे चेहरे कीरौनक की वजह तुम हो।मेरे लबों परआई मुस्कुराहट की वजह तुम हो।मेरे दिल कीहसरत की वजह तुम हो।मेरे मन में आएएहसासों की वजह तुम हो।मेरे गालों में आईरंगत की वजह तुम हो।मेरे ह्रदय […]

नेताओं की बात सुनो मत, सबकी गिरगिट से यारी

March 8, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय कहीं उमंग-उत्साह नहीं है, सब दिखते हैं खोली मे,परिपाटी से अधिक नहीं कुछ, देख असर इस होली मे।महँगाई का असर है इतना, मीठा ‘मीठ’ नहीं लगता,महिमा है बाज़ार की प्यारे! […]

अथाह अनुभूति

March 4, 2023 0

हजारों तंत्र हो मुझ मेंहजारों मंत्र हो मुझ मेंमैं फिर भी लीन रहू तुझ में।न ज्ञान का अहंकार हो मुझ मेंन आज्ञान का भंडार हो मुझ मेंमैं फिर भी लीन रहू तुझ में।योग का भंडार […]

हम अपनो से दूर हुए, कैसी है मेरी मज़बूरी

March 2, 2023 0

हम अपनों से दूर हुएकैसी है मेरी मज़बूरी ?जिस माँ ने जनम दियावह माँ आज है अकेली। उसके प्यार के लिएहम भाईआपस में लड़ जाते थे , हम दोनों को झगड़ते देखमांँ कहती –तुम दोनों […]

मुस्कराहट बाकी है अभी

February 24, 2023 0

बिखर चुका है बहुत कुछमगर कुछ यादेंसमेटना बाकी है अभी।बहुत गम है जिंदगी मेंमगर चेहरे परमुस्कुराहट बाकी है अभी।खत्म हो चला है भलेजीवन का सफरमगर फिर भीकुछ करने के इरादेबाकी है अभी।बहुत जान चुका हूंजीवन-मृत्यु […]

हमारे अध्यापक

February 19, 2023 0

धूल में मिट्टी के कण की तरह थे, आसमान का तारा बना दिया। कितने प्यारे थे हमारे अध्यापक, हर काम में काबिल बना दिया। बहुत याद आओगे हमेशा, कौन समझाएगा हमें आप जैसा। हर काम […]

सजनी! तुमको दया ना आयी

February 19, 2023 0

सजनी! तुमको दया ना आयी ।इतनी निष्ठुरता से देखा ।अविरल बही अश्रु सरि रेखा।अपनी त्रुटि खुद समझ न आयी ।दृशा – दशा पूरित हो आयीं ।।तब भी तुमको दया न आयी ।। पुनर्मिलन की आश […]

ख़ैरातख़ान: खोलता, कुछ लोग के लिए

February 18, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ख़ैरातभरी झोली, कुछ लोग के लिए, शातिर दिमाग़-खोली, कुछ लोग के लिए। बन्दिश मे दिख रही, हर साँस अब यहाँ, दी जाती ‘ऑक्सीजन’, कुछ लोग के लिए। कैसे कह दें […]

मेरी संजीदगी मत छेड़, उसे चुपचाप रहने दे

February 17, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बदन के खटते१ रहने पे, हरारत आ ही जाती है, लबों के मुसकराने पे, नज़ारत२ आ ही जाती है। देता ही रहा हर पल गवाही, उनकी फ़ित्रत का, तभी तो […]

नज़रें ग़र इनायत हों तो एक बात मै कहूँ

February 17, 2023 0

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय रिश्तों की अहम्मीयत जान जाइए,बुराई मे अच्छाई पहचान जाइए।निगाहें ग़र तलाशी लेने पे उतर आयें,ज़बाँ को तसल्ली दे मुसकान लाइए।नज़रें इनायत हों तो एक बात मै कहूँ,अपनी कथनी-करनी मे ईमान […]

सखी! हम काहू सो नाइ कही

February 7, 2023 0

सखी! हम काहू सो नाइ कही।जोई तुम कहेउ, वहै सब साँची,मनहद पार करी।प्रियतम पालि, दिया नहिं बारेन ,बरबसि रारि परी।।सखी! हम काहू सो नाइ कही।। जोई तुम कहेउ वहै, हम बाँची,बतरस-धार बही।सतरस पूरि कर्षिता-मुदिता,सरसति साज […]

ज़िन्दगी का मक़्सद बन!

February 5, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय घिसटते हुए टायर की तरहज़िदगी जीनेवालो!अपने भीतरभरी हवा की इज़्ज़त करना सीखो।फटे बाँस की तरहचरचपर चरचरमरमर करती ज़िन्दगी,एहसासात को छूती तो है,बूझती नहीं; ताड़ती नहीं।कारणो के पिटारे मे से,झाँक रहे […]

जीवन मेरा सरगम जैसा

January 29, 2023 0

तेरे प्यार में सजना, तेरी सजनी संँवर रही। सात स्वरों से सजा है संगीत, सात फेरों से सजा है जीवन,सात जन्मों तक मिलें सजना तेरा प्यारतेरे प्यार में सजना, तेरी सजनी सज रही , तेरे […]

ग़ुलामो की बस्ती मे

January 29, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय चलो!यहाँ से चलते हैं,दुर्गन्ध भी भयानक और घृणित आ रही है।लगता है,मानो कोई आदमख़ोर जानवर,मल-मूत्र मे नहाया हुआ,इधर से अभी-अभी गुज़रा हो;वह अपने हिंस्र नाख़ूनो से,हर मासूम गर्भ मे हाथ […]

अपनी उड़ान यूँ ही तू भरता चल

January 27, 2023 0

सुन मेरे मन के परिंदेआगे ही तू बढ़ता चल।न सोच तू इन राहों काबस आगे ही निकलता चल।न सोच तू राहगीरों कावो भी खुद पंथ पे मिल जाएंगे।न सोच तू इन हवाओं काये भी एक […]

सुनहुँ सुजान सुसील सनेहू। मान न मर्दन होवै देहू।।

January 27, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय रूप-रंग सब बहुत सुहाया। मन से मन को भी अति भाया।।करम-राह भी अति कठिनाई। मंज़िल करमबीर ही पाई।सुनहुँ सुजान सुसील सनेहू। मान न मर्दन होवै देहू।।आधि-ब्याधि सब रूप समाना। विधि-विधान […]

न्यायशील राष्ट्र का नया दार्शनिक गीत

January 26, 2023 0

वंदे न्यायभारतम्…!वंदे भारतम्…!सत्यं न्यायविधिप्रदम्सत्पथदर्शितम्…!! वसुधाकुटुम्बकंप्रियम्निष्पक्षनायकम्..!विश्वबंधुत्वघोषकम्सर्वजनसुखकरम्..!!वंदे न्यायभारतम्…!वंदे भारतम्..!! विद्याजीविकाप्रदम्सुविधादायकम्…!सृष्टिसंरक्षकारकम्जनहितसाधकम्…!!वंदे न्यायभारतम्…!वंदे भारतम्..!! राष्ट्रं सार्वभौमिकम्सर्वहितकारकम्…!सत्यसिद्धांतधारकम्न्यायधर्मानुगम्…!!वंदे न्यायभारतम्…!वंदे भारतम्..!!✍️??

संविधान है जेब मे, मनचाहा है खेल

January 26, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–‘तन्त्र’ बपौती बन गया, ‘गण’ घायल हर ओर।‘लोक’ इशारे नाचता, सेंध लगाते चोर।।दो–‘तन्त्र’ ग़ुलामी जी रहा, ‘गण’ फुटबॉल-समान।जाहिल अनपढ़ कर रहे, हम सबका अपमान।।तीन–लोक-लाज को त्याग कर, लोकरहित है ‘तन्त्र’।अन्धा-बहरा […]

मानवता सिसकी भरे, दुर्जन चुप्पी ओढ़

January 22, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक―दर्द दवा से दाबकर, कब तक लोगे काम।जीवन जंगल बन गया, दिखते नमकहराम।।दो―टन्-टन् टोना-टोटका, टप्-टप् टपके झूठ।सोचो! सच सोता नहीं, सोच-सोचकर रूठ।।तीन―माया-मोह विमुक्त हो, छल-छर१ से हो दूर।सत्य सदा संशयरहित, […]

आग लगा दो नीति मे, नंगा कर दो राज

January 21, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–कहें देश की बेटियाँ, शासक धोखेबाज़।हाथी-जैसे दाँत हैं, उगल रहे हैं राज़।।दो–चुप्पी साधे दिख रहा, घर का चौकीदार।चोरों से है जा मिला, ले रूप ख़रीदार।।तीन–होता शोषण यौन का, सबको इसका […]

जी हाँ, मै ‘प्यार’ बेचता हूँ।

January 16, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय आइए! मेरी ‘वर्ल्ड-फ़ेमस’ दुकान मे तशरीफ़ लाइए।जनाब! मै प्यार बेचता हूँ।अनोखा प्यार और निराला प्यार :―किसिम-किसिम का प्यार;तरह-तरह का प्यार;भाँति-भाँति का प्यार;नाना प्रकार का प्यार;विविध प्रकार का प्यार;पृथक् प्रकार का […]

लोहड़ी है सबको भायी

January 13, 2023 0

आ गई खुशियों की बहार,लोहड़ी मनाने को हो सब तैयार ।लोहड़ी है सबको भायी,घर घर खुशियां लायी।खुशी-खुशी लोहड़ी मनाते हैं,एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं।हर प्रकार के पकवान बनाते हैं,इस त्यौहार की शोभा बढ़ाते हैं।मूंगफली […]

चिरस्थायी

January 10, 2023 0

प्रेम क्या होता है ?मैंने कहा : तुम्हें जब प्रत्येक वस्तु अच्छी और सुंदर लगने लगे,अच्छे से अच्छा बनने का मन करे,किसी को नि:स्वार्थ भाव से स्वयं को समर्पित कर देना चाहोऔर मन की सारी […]

ठिठुरन भरी पूस की रात

January 6, 2023 0

हम गरीबों का मसीहा कौन है?चांँद से बातें करता हूंँ , सिर पे मांँ – बाप का हाथ नहीं,पर , छोटे भाई का साथ है ,अब खोने को कुछ बचा क्या है!अपना कोई ठिकाना नहीं […]

कविता : बदलाव

January 6, 2023 0

हालात मत पूछिएबदलते रहते हैं।समय मत पूछिएगुजरता रहता है।मोहब्बत मत कीजिएहोती रहती है।दिल्लगी मत कीजिएदिलदार औरो से भीदिल लगाते रहते हैं।परिस्थिति मत देखिएस्थिति बदलती रहती है।हमसफर जल्दीमत बनाइएहमराही बदलते रहते हैं। राजीव डोगरा (भाषा अध्यापक)राजकीय […]

याद आते हैं वह दिन

January 5, 2023 0

याद आते हैं वह दिन ,जब हम साथ होते थे।लड़ते झगड़ते फिर मनाते ,वो दिन भी क्या खास होते थे।जो कभी हमें खास समझते हैं,वह अब अनजान बनकर फिरते हैं।अब कितनी बातें छुपाते हो ,जो […]

जड़-चेतन हैं काँपते, माँग रहे हैं ताप

January 4, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक– ठिठुरन ठिठकी ठण्ढ मे, टूट देह की जोड़। माघ-पूस की शीत मे, धरती पड़े न गोड़१।। दो– हवा हवाई हाल है, ख़तरे मे मुसकान। जीव-जगत् जड़ दिख रहा, जाड़े […]

हंस वंश अवतंस-सम, मुरली की है तान

January 3, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक– दिल दिमाग़ से दूर है, मति-गति भी है दूर। बन्द दिखें आँखें खुलीं, अच्छे हमसे सूर।। दो– रूप रूपसी से कहे, रुतबा का नहिं जोड़। रूप-रंग१ रचना रचे, रूपक […]

विरह में जीवन का उत्कर्ष, जनवरी लाती है नव वर्ष

January 2, 2023 0

जनवरी लाती है नव वर्ष ।दिसम्बर जाता है हर वर्ष ।नवल उत्साह, तरंग, उमंग,वर्ष भर चलते हैं संघर्ष ।। सुनहली प्रात, रुपहली शान ।प्रभाती सुमधुर पंछी गान ।विविध रंग पुष्प, वल्लरी-रास,प्रकृति अवलोकन देता हर्ष ।। […]

गमनागमन

January 1, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय साथ-संग चलता रहा, वर्ष-हुआ अवसान।मन-मंथन मथता रहा, कहाँ मान-अपमान?घूँघट काढ़े मौन है, अवगुण्ठन-सी देह।सहमे-सकुचे धर रहे, पाँव-पाँव अब गेह।।मलय मन्द मुसकान ले, बढ़े जोश के साथ।जन-जन अगवानी करे, झुका-झुका कर […]

नये साल मे

December 31, 2022 0

नये साल मेंएक नए युग काआगाज होगा।महाकाल महाकालीके भक्तों काजय-जयकार होगा।छाया था जोजीवन में घोर अंधकारउसमें भीप्रकाश होगा।हार चुके हैंजो हम दावउसमें भीजीत का आयाम होगा।करते हैं जोहमसे नफरतनए साल मेंउनको भीहमसे प्यार होगा। राजीव […]

देहावसान के सन्निकट पहुँचते मेरे सहयात्री!

December 31, 2022 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय मेरे विश्वसनीय एकवर्षीय सहयात्री!अपने बलिष्ठ कन्धों पर,तीन सौ पैंसठ दिवसीय अनियन्त्रित-नियन्त्रित भारप्रतिक्षण लादकर,अनवरत-अनथक यात्रा करते-करते,तुम अतीतोन्मुख होते जा रहे हो।त्वरित गति मे कृषकाय१ होते,तुम्हारे स्कन्धप्रान्त२,अब क्लान्त३ हो रहे हैं।तुम श्रान्त४ […]

नूतन वर्ष

December 31, 2022 0

नई नवेली सुबह का स्वागत करती हूंँ ,ख़ुशियों का अंबार लेकर आओ!इस वर्ष उम्मीद करती हूंँ । महा शक्तियांँ जब टकराईं ,मन भयभीत हुआ ,मानव ने मानव का संहार किया, बीते वर्ष की शुरुआत सेरूस […]

रह गए थे जो सपने अधूरे

December 30, 2022 0

प्रान्शुल त्रिपाठी, रीवा, मध्य प्रदेश चलो फिर से नए जोश नए उल्लास से नववर्ष मनाते हैं,रह गए थे जो सपने अधूरे अभी उन्हें अब फिर से सजाते हैं ।कौन अपना कौन पराया इस भेदभाव को […]

अखबार तो अखबार होता है

December 25, 2022 0

अखबार तो अखबार होता है। बीते दिन क्या हुआ कहां, क्या कल होने वाला।आज कहां पर कैम्प लगेगा, कौन है आने वाला।।अखबार में लिखी खबर पढ़के, एतबार होता है।अखबार तो अखबार होता है।। एक बार […]

मत वहन करो

December 23, 2022 0

मत वहन करो मेरे विचार कोमुझे भी नहीं चाहिएतुमसे अलंकार के भूषण।मत वहन करो मेरी वाणी कोमुझे भी नहीं चाहिएतुमसे छंदों के बंधन।मत वहन करो मेरे अंतर्द्वंद कोमुझे भी नहीं चाहिएतुमसे परिछंदों के द्वंद।मत वहन […]

अब बहुत सो चुके….

December 23, 2022 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय जीभर आँखें खोलो! देखो इन नामर्द दरवाज़ों को; सिटकिनियों के इशारे पर नाचते आ रहे हैं। भीतर का माहौल अघोषित आपातकालीन इन्तज़ामात१ के हवाले है। हवा बेचैन है; दरवाज़े को […]

किसी के पास वक्त नहीं

December 21, 2022 0

इस भागदौड़ की जिंदगी में किसी के पास वक्त नहीं ,कुछ अपनों के लिए समय निकालें ,वरना ,जिंदगी यूँ ही निकलती जा रही ,हम अपनों के साथ वक्त नहीं बिता पा रहे हैं ,परिवार के […]

ठिठुरन बढ़ने लगी

December 20, 2022 0

दिन छोटे रात लम्बी होने लगीगुनगुनी धूप छत पे उतरने लगी।बढने लगी हाँ ठिठुरन बढने लगी। आ गई ठण्ड रजाई ले लीजिए,दूध के संग मलाई ले लीजिए।बाजरे की रोटी; बेसन की करी,घी-मक्खन की तराई ले […]

जनवरी आ रही है

December 20, 2022 0

फिर एक बार दिसंबर जा रहा है माहे जनवरी आ रही है,बहुत खुश दिख रहे हो क्या सुकून कि घड़ी आ रही है,ये तो बताओ दिन तारीख साल के सिवा कुछ और भी बदलेगा,या जो […]

माँ तू मेरे जीवन की बुनियाद

December 18, 2022 0

माँ तू मेरे जीवन की वो बुनियाद हैजिसके बिना मेरा कोई अस्तित्व नहींमेरे बिना बोले मेरे चेहरे सेमेरे दिल की हर इक वो बात बूझ लेती होजिसे मैं बोल नहीं पातापरछाई की तरह चलती है […]

बारिश की वो पहली बूंदें

December 18, 2022 0

बारिश की वो पहली बूंदे कलियों कीपलकों पर बैठकर टिमटिमाई होंगी,बहती हुई बयारों से लिपटकर सर्दनन्हीं शबनम छुपकर के नहाई होगी। दरीचों से निकलकर के महीन बूंदेंफिर प्रांगण मे चुपके से गिरी होंगी,कमरे के नर्म-नर्म […]

कविता : आक्रोश

December 16, 2022 0

मुझे आक्रोश है आज भीउन लोगों से जिन्होंनेमेरा साथ तब छोड़ाजब मुझे सबसे ज्यादा जरूरत थी। मुझे आक्रोश है आज भीउन लोगो से जिन्होंनेमेरी मोहब्बत को तब ठुकरयाजब मुझे किसी के प्यार की जरूरत थी। […]

शिक्षा से ही गरीबी दूर होगी

December 15, 2022 0

बाबूजी! कहांँ चलना है?आ जाइए ! मेरे रिक्शे में बैठिए!आप घबराइए नहीं मैं आराम से चलूंँगा ,मुझे कहीं गड्ढा या ब्रेकर मिलेगामैं रिक्शा की गति धीरे कर लूँगा। अम्मा आओ!पहले बैग हमको थमा करआराम से […]

मै चरणदास समाज हूँ

December 15, 2022 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय मेरी नामर्दगी, मर्दों की टोली का नेतृत्व कर रही है। भोले-भाले ज़बाँ पर लगे तालों की चाबियाँ, मुखिया की जेब मे हैं। वह ललकारता है :– हैसियत हो तो जेब […]

बड़े बुजुर्गों से मिलता है आशीर्वाद

December 6, 2022 0

बड़े बुजुर्गों से मिलता आशीर्वादबेटी तुम हो! माँ सीता! जैसी;त्याग समर्पण की देवी, साक्षात् लक्ष्मी ,जिस घर में जाओगी बिटिया!वह घर ख़ुशियों से भर जाएगा ,मांँ सीता के जैसे ही ; तुममें प्रेम है,धैर्यता ,गंभीरता […]

मानव जीवन बहुत अमूल्य है

December 4, 2022 0

मेरे प्यारे बच्चों सुनो!बड़े भाग्य से मानुष तन पाया ,आओ , इस जीवन को सार्थक कर लें ,किस उद्देश्य यह जीवन मिला ,आओ , हम इसको जाने ,एक – एक पल बड़ा है मूल्यवान ,रात्रि […]

कविता – आने के पहले

December 4, 2022 0

आकांक्षा मिश्रा, उत्तर प्रदेश अनन्त प्रतीक्षा बादतुम्हें मैंने पायाएक बार न कोई सवालन कोई जानने की जिज्ञासा मेरे हृदय में कुछ पीड़ाउमड़ रही थीतुमसे शिकायत करकेजी हल्का करना चाह रही थीऐसा न हुआमन की चिंताओं […]

मछली पर कविता : मछली! तुम एकनिष्ठ हो

December 3, 2022 0

हे! जलजीवनतुम मस्त रहती हो अपनी दुनिया मेंना तुममें भेदभाव की भावनातुम प्रेममयी होतालाब, नदियांँ, सागर की तुम रानी होअहं नहीं तुमको अपनी सुंदरता पर।रंग-विरंगी दिखती होतुम तो मेरे मन को भाती हो,जल से करती […]

शतरंज की चाल

December 3, 2022 0

हमारी सूझबूझ हमारे जीवन को सफल बनाती है,सफलता मिलें जिंदगी में,कभी-कभी मुझे शतरंज की चाल चलनी पड़ती है। मैं सोच समझकर निर्णय लेती हूँ,नित कदम आगे बढ़ाती हूँ,कठिन परिस्थितियों में भी! समस्या का समाधान करती […]

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